नई दिल्ली :रोहिणी इलाके में शुक्रवार तड़के हुए दीपक के एनकाउंटर को लेकर उसके परिवार ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि बेगमपुर पुलिस ने 22 अक्टूबर को ही चार अन्य युवकों के साथ उसे पकड़ा था. एक सप्ताह तक गुप्त जगह पर रखने के बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया. उसके पिता का यह भी आरोप है कि पुलिस उसे छोड़ने के लिए 10 लाख रुपए मांग रही थी और इसके लिए एक टीम उनके घर पर दो बार आई थी. फिलहाल पूरे मामले की जांच डीएम द्वारा की जा रही है.
एनकाउंटर में मारे गए दीपक के पिता गंगा स्वरूप ने बताया कि वह पैरोल पर जेल से आया हुआ था. उसकी पैरोल खत्म होने के बाद वह जेल सरेंडर करने की बात कहकर घर से निकला था. उन्हें पता चला कि उसे बेगमपुर पुलिस ने चार लड़कों के साथ पकड़ लिया है. लेकिन इसके बावजूद दो बार दीपक को तलाशने के लिए पुलिस टीम उनके घर पहुंची थी. उन्होंने बताया कि पकड़े गए सुमित सेठी ने जेल पहुंचने पर अपने परिवार को कॉल किया था. उसने बताया कि दीपक को उनके साथ पकड़ा गया था लेकिन उसे अलग रखा गया है. पुलिस उसका एनकाउंटर करने वाली है. यह जानकारी उसके परिवार से आये एक लड़के ने उन्हें दी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि दीपक के बारे में इंस्पेक्टर नीरज राणा ने पूछा. उन्होंने कहा कि वह तो आपके पास है. इस पर उनसे 10 लाख रूपये मांगे गए और नहीं देने पर उसका एनकाउंटर करने की बात कही गई थी.
दीपक के चाचा जगबीर ने बताया कि उनके भांजे ने उन्हें कॉल कर बताया था कि दीपक का एनकाउंटर होने वाला है. उन्होंने यह जानकारी अपने भाई को दी थी. उन्होंने 100 नंबर पर कॉल करने का प्रयास किया लेकिन उनकी शिकायत दर्ज नहीं हो सकी. दीपक के जीजा राजेश ने बताया कि वह सरेंडर करने की बात कहकर निकला था. उन्हें एक परिचित ने बताया कि 22 अक्टूबर को बरवाला से दीपक सहित 5 आरोपियों को पकड़ा गया था. लेकिन पुलिस ने इनमें से केवल 4 को ही कोर्ट में पेश किया. वहीं दीपक को अलग रखा गया है. राजेश ने आरोप लगाया कि इंस्पेक्टर नीरज अपनी टीम के साथ एक सप्ताह में दो बार उनके घर गए थे. उनका आरोप है कि दीपक के पिता से उसे छोड़ने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की गई थी.
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राजेश ने बताया कि दीपक के पिता बुजुर्ग हैं और मां दिव्यांग है. पिता को दो हजार रुपये पेंशन मिलती है जिससे बड़ी मुश्किल से उनका गुजारा होता है. ऐसे में वह 10 लाख रूपये की मांग को पूरा नहीं कर सके जिसके चलते पुलिस ने दीपक का फर्जी एनकाउंटर कर दिया. राजेश ने बताया कि 2019 में दीपक की गिरफ्तारी के समय भी 50 हजार रुपये पुलिसकर्मियों ने लिए थे. यह रकम उसने कैथल से मंगवाकर पुलिस को दी थी. राजेश ने बताया कि पैरोल पर आने के बाद से दीपक दोपहर में 12 बजे तक सोकर उठता था. ऐसे में सुबह 5 बजे वह जंगल में क्यों गया इसका जवाब प्रशासन को देना चाहिए.
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दीपक के भाई प्रवीण ने बताया कि 2019 में वह हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ था. इस मामले में वह पैरोल पर जेल से छूटकर आया था. वह पैरोल खत्म होने पर सरेंडर करने के लिए घर से निकला था. वह अक्टूबर के पहले सप्ताह में घर से निकला था. इसके बाद से उन्हें नहीं पता था कि वह कहां पर है. पुलिस ने उन्हें इस एनकाउंटर के बाद भी किसी प्रकार की जानकारी तक नहीं दी. उन्हें न्यूज़ चैनल से इसका पता चला जिसके बाद वह दिल्ली आए थे. यहां उन्हें पता चला कि पुलिस ने दीपक को मार दिया है. गौरतलब है कि गोगी मान नाम से एक फेसबुक पेज पर 26 अक्टूबर को यह लिखा गया था कि दीपक का एनकाउंटर बेगमपुर पुलिस करने वाली है. उन्होंने 22 अक्टूबर से उसे पकड़ रखा है. इसके ठीक 3 दिन बाद बेगमपुर पुलिस ने यह खुलासा किया कि एनकाउंटर में उन्होंने दीपक को मार दिया है.
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