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गौतमबुद्ध नगर: जिले में डेढ़ महीने में भी पूरी तरह से कमिश्नरी नहीं बन पाई - new delhi

गौतमबुद्ध नगर जिले में कमिश्नरी घोषित होने के डेढ़ महीने बीत जाने के बाद ये पता चला है कि आज भी सिस्टम में कोई बदलाव नहीं आया है. जो सिस्टम पहले था वही सिस्टम आज भी है. जिला अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है, कमिश्नरी सिस्टम का कहीं भी असर देखने को नहीं मिल रहा है.

commissioner could not be made completely in district
नहीं बन पाई पूरी तरह कमिश्नरी

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Published : Feb 19, 2020, 11:48 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले को आनन-फानन में 13 जनवरी 2020 को कमिश्नरी घोषित कर दिया गया. शासन और प्रशासन द्वारा कहा गया कि कमिश्नरी बनने से अपराध और आम जनता की समस्या से लेकर पुलिस की जांच को भी मदद मिलेगी. लेकिन सच्चाई डेढ़ महीने बीत जाने के बाद निकल कर आ रही है कि जो सिस्टम पहले था वही सिस्टम आज भी है. जिला अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है, कमिश्नरी सिस्टम का कहीं भी असर देखने को नहीं मिल रहा है.

डेढ़ महीनें में नहीं बन पाई पूरी तरह कमिश्नरी

थानों में पोस्टिंग

कमिश्नरी सिस्टम में जहां थानों पर तीन एसएचओ तैनात होने चाहिए, वही जिले के अभी भी 22 थानों में एक एसएचओ या एसओ तैनात हैं. थानों में एसएसआई पद जहां खत्म होना चाहिए, वहीं आज भी सभी थानों पर एसएसआई बने हुए हैं.

मामलों की विवेचना

कमिश्नरी सिस्टम में कांस्टेबल को छोड़ कर हेड कांस्टेबल से लेकर सभी विवेचना करने का अधिकार रखते हैं. 7 साल से कम की सजा और हिनियस क्राइम ना होने पर उसकी विवेचना हेड कांस्टेबल कर सकते हैं लेकिन अभी भी गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरी में दरोगा से नीचे किसी को विवेचना नहीं दी गई है.

विवेचना को लेकर समस्या

हेड कांस्टेबल को विवेचना न दिए जाने के चलते देखा जाए तो उप निरीक्षकों पर विवेचनाओं का अंबार लग जाता है, जिसके चलते मामलों का समय से निस्तारण नहीं होता है. वहीं निस्तारण न होने पर जहां पीड़ित परेशान होता है तो दूसरी तरफ अधिकारी विवेचना खत्म ना करने पर विवेचक को लाइन हाजिर या सस्पेंड कर देते हैं, जिसे लेकर उप निरीक्षक तनाव में रहते हैं.

कमिश्नरी सिस्टम

कमिश्नरी सिस्टम में जहां कांस्टेबल को बीट दी जाती है. वहीं जिले में डेढ़ महीने पूरे होने के बाद भी अभी तक कांस्टेबल में पूरी तरीके से बीट नहीं बट पाई है. कागज पर भले ही कमिश्नरी बन गई है पर जमीनी हकीकत में कमिश्नरी सिस्टम अभी पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाया है.

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