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नोएडा से दिल्ली जाने वालों के लिए राहत वाली खबर, खुल गया चिल्ला बॉर्डर - chilla border opens at noida

नोएडा से दिल्ली जाने वाले लोगों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है. यहां चिल्ला बॉर्डर पर पिछले 58 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया है. किसनों ने अपने तंबू हटा लिए हैं. पुलिस भी रास्ते में लाए अवरोधों को हटाने का काम कर रही है.

chilla border opens at noida
58 दिनों बाद फिर खुला चिल्ला बॉर्डर

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Published : Jan 27, 2021, 9:57 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: आज बुधवार देर रात तक नोएडा से दिल्ली जाने वाले रूट को पूरी तरीके से आम पब्लिक के लिए खोल दिया जाएगा. किसान अपने सारे सामान जो भी वह धरना स्थल पर लेकर आए थे, उसे ट्रैक्टर ट्रालीयो में पैक कर अपने अपने घर के लिए चिल्ला बॉर्डर से रवाना हुए. साथ ही खाने-पीने के जो भी सामान किसानों ने धरना स्थल पर रखा था, उसे भी अपने साथ ले गए.

58 दिनों बाद फिर खुला चिल्ला बॉर्डर

इस दौरान किसानों ने बस एक ही बात हर किसी से करते हुए नजर आए की 26 जनवरी को जो भी लाल किले पर हुआ वह किसानों को बदनाम करने के लिए किया गया. जिसका हमें काफी मलाल है. किसान कभी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता. किसानों को बदनाम करने की कोशिश की गई है.

ट्रकों और ट्रॉलीओं में किसान लेकर अपने सामान


चिल्ला बॉर्डर से किसान अपने सारे सामान को ट्रैक्टर ट्रालीओं के साथ ही ट्रकों में लादकर अपने साथ ले गए किसान जो भी अपने साथ धरना स्थल पर राशन लाए थे उसे भी साथ लेकर गए. लंगर का सामान जो उत्तराखंड से आया था. उन्हें भी प्रशासन द्वारा ट्रक मुहैया कराकर उन्हें भी चिल्ला बॉर्डर से रवाना किया गया. पुलिस प्रशासन पूरी निगरानी में किसानों के सामान लगवाने और भेजने का काम किया. इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि देर रात तक नोएडा से दिल्ली जाने वाले रोड को पूरी तरीके से खोल दिया जाएगा. दिल्ली पुलिस की तरफ से भी बड़ी-बड़ी क्रेन को ला कर उन पत्थरों को हटाने का काम किया जा रहा है जो बैरियर के रूप में सड़कों पर लगाए गए थे.

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58 दिन से बंद रूट खुला


दिल्ली पुलिस के द्वारा चिल्ला बॉर्डर पर लगाए गए अपने सभी बैरियर को हटा लिया गया है. साथ ही नोएडा पुलिस की तरफ से जो बैरिकेडिंग की गई थी उसे भी हटा दी गई है. मौके पर पुलिस विभाग के आला अधिकारी मौजूद हैं, जिनकी निगरानी में किसानों को सुरक्षित और सही तरीके से जगह-जगह भेजने का काम किया जा रहा है. किसानों को जहां बसों में बैठा कर उनके घर भेजा जा रहा है. वहीं उनके सामान को ट्रक मुहैया कराकर उसमें रखवा कर भेजा गया है.

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