नई दिल्ली/नोएडा : इंडिया एक्सपो मार्ट में आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट(IDF World Dairy Summit 2022) का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. वर्ल्ड डेयरी समिट का आयोजन 12 सितंबर से 15 सितंबर तक किया जा रहा है. जिसमें आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी (Asha Mahila Milk Producer Company) का स्टाल लगा है, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. गांव में गाय भैंस कि दूध का व्यवसाय करने वाली महिलाओं को एकत्रित करके एक समूह बनाया गया, जो आज राजस्थान के कई जिलों में कार्य कर रहा है. जिसका सालाना टर्नओवर 160 करोड़ रुपए का है. यह समूह महिला सशक्तीकरण व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है.
वर्ल्ड डेयरी समिट में आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी (Asha Mahila Milk Producer Company) का स्ट्रॉल लगा है. कंपनी सचिव लोकेश शर्मा ने बताया कि राजस्थान के पाली जिले के बाली गांव में 2016 में 11 महिलाओं के समूह के साथ इसकी शुरुआत की गई थी. उसके बाद कई गांव की महिलाएं इस समूह के साथ जुड़ी और इसका शेयर होल्डर बनी. यह समूह राजस्थान के पांच जिलों में चल रहा है और लगभग 565 गांव में महिलाएं इस समूह के साथ जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी
राजस्थान के पाली जिले में 2016 में टाटा ट्रस्ट का धानी फाउंडेशन ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) द्वारा महिलाओं का एक समूह बनाया गया, जिसके द्वारा संचालित कंपनी आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी है. इस कंपनी ने गांव में गाय-भैंस का दूध का व्यवसाय करने वाली महिलाओं को जोड़कर समूह बनाया. जिसमें महिला के नाम पर बैंक में खाता खुलवाता है और दूध का पैसा महीने में तीन बार महिला के खाते में आता है. जिससे यह समूह महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य कर रहा है. इस समूह के सीईओ धर्मेंद्र मलिक है.
गांव में कार्य करता है समूह
यह समूह गांव में जाकर मीटिंग करता है. उसके बाद गांव की महिलाओं को समूह का सदस्य बनाता है, जिसके बाद गांव में एम पी पी मिल्क पुलिंग पॉइंट गांव में लगाता है. जिससे गांव की महिलाओं का दूध उस पॉइंट पर इकट्ठा किया जाता है. उसके बाद सारे दूध को मिल्क चिलिंग सेंटर भेज दिया जाता है. गांव के पुलिंग पॉइंट से मिल्क चिलिंग सेंटर जाने के लिए गाड़ियां होती हैं, जो दूध को गांव से लेकर जाती हैं. राजस्थान के कई जिलों में समूह ने मिल्क चिलिंग सेंटर बनाए हुए हैं. इस समूह के द्वारा दूध गांव से कंपनी तक आसानी से पहुंच जाता है. साथ ही महिलाओं को उसका उचित मूल्य समय से मिल जाता है.
महिलाएं बन रही है आत्मनिर्भर
समूह की चेयरमेन कन्या देवी ने बताया कि आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी से जोड़कर उनके जीवन में काफी बदलाव हुए हैं. महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. क्योंकि इस समूह में महिला के नाम से खाता खोला जाता है, जिसमें दूध का सारा पैसा उनके सीधे खाते में भेजा जाता है. महिलाएं घर को चलाने में सक्षम होती हैं. इसीलिए वह अपने खर्चे के हिसाब से पैसे खर्च करती हैं और बचत करके अपने जीवन में बदलाव कर रही हैं. वह खुद आत्मनिर्भर बन रही है.
समूह से जुड़कर महिलाओं ने शिक्षा की प्राप्त
समूह से जुड़ी रेखा माली ने बताया कि दूध का काम वह पहले भी करती थी. लेकिन इतनी लगन से नहीं करती थी. जब से वह समूह से जुड़ी है उसके बाद सीधा पैसा उनके पास आने लगा है. इसीलिए वह अब महिलाएं पूरी लगन और मेहनत से दूध के काम में जुट गई है. कई महिलाएं ऐसी है जो समूह से जुड़ने से पहले पांचवी तक ही पढ़ी लिखी थी. लेकिन समूह में जुड़ कर पैसा जब उनके पास आने लगा तो उन्होंने व्यवसाय के साथ-साथ पढ़ाई की दिशा में भी आगे बढ़ने लगी. उसके बाद हाईस्कूल व इंटर तक की पढ़ाई की.