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इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा रिक्शा चालक, बोला- जहर खाकर जान दे दूंगा

नोएडा में एक रिक्शा चालक इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. दरअसल रिक्शा चालक अमित के पेट की आंत फट गई थी, जिसका इलाज उसने अलीगढ़ में अपनी जमा पूंजी से कराया था लेकिन खर्चा इतना बढ़ गया कि उसकी जमा पूंजी भी चली गई और इलाज भी पूरा नहीं हो पाया.

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Published : May 30, 2020, 8:55 PM IST

Amit suffering from intestinal disease
इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा रिक्शा चालक

नई दिल्ली/नोएडा:उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा में एक रिक्शा चालक इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. दरअसल रिक्शा चालक अमित के पेट की आंत फट गई थी, जिसका इलाज उसने अलीगढ़ में अपनी जमा पूंजी से कराया था लेकिन खर्चा इतना बढ़ गया कि उसकी जमा पूंजी भी चली गई और इलाज भी पूरा नहीं हो पाया. जिसके बाद उस अस्पताल के डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया.

इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा रिक्शा चालक

आयुष्मान भारत योजना का भी लाभ नहीं

इलाज के दौरान अमित ने आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्ड बनवाया और ग्रेटर नोएडा अपने परिवार के साथ आ गया, जिसके बाद कैलाश और शारदा अस्पताल में गया लेकिन वहां भी इनको इलाज नहीं मिला. जिला अस्पताल नोएडा में भी गया लेकिन वहां पर भी इस कार्ड को देखकर डॉक्टरों ने साफ मना कर दिया कि इस कार्ड से इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है.

अब अमित अपने परिवार के साथ ग्रेटर नोएडा के जिला मुख्यालय पर जिलाधिकारी से अपना दर्द बयां करने आया था. मीडिया से बात करते हुए पीड़ित ने बताया कि अगर उसको जिलाधिकारी द्वारा मदद नहीं मिली तो वो अपने साथ जहर भी लाया है, खुद भी मर जाएगा और अपने परिवार को भी जहर देकर मार देगा.

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद मंगवाई गई एम्बुलेंस

मीडिया द्वारा इस मामले को उठाने पर सिटी मजिस्ट्रेट ने आनन-फानन में एंबुलेंस बुलवाकर पीड़ित को जिला अस्पताल भिजवाया और हरसंभव इलाज करने का भरोसा दिलाया लेकिन लापरवाही का आलम ये है कि उसके बावजूद भी जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने उसका इलाज करने से मना कर दिया. पीड़ित ने बताया कि उसकी आंतों में पस पड़ गया है लेकिन डॉक्टरों ने सिर्फ दवाई दी और कहा कि इलाज कराने बाद में आना.


पत्नी भी करती थी कंपनी में काम, लॉकडाउन के कारण निकाला

पीड़ित रिक्शा चालक की पत्नी इलाज कराने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए एक निजी कंपनी में काम करती थी लेकिन कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गई और इसके बाद कंपनी वालों ने भी उसको कंपनी से निकाल दिया. अब वो रो-रोकर अपने पति का इलाज कराने की मांग कर रही है और अपने परिवार की मदद की गुहार लगा रही है.

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