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तीन साल बाद ग्रेटर नोएडा के 163 फ्लैट खरीदारों को मिलेगा मालिकाना हक, जानें कैसे

ग्रेटर नोएडा के 165 फ्लैट/दुकान खरीदने वालों (flat buyers of Greater Noida) को सब लीजडीड कराए करीब तीन साल बीत गए. अब उन्हें मालिकाना हक मिलेगा. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater noida authority) के सीईओ की पहल पर बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी है. जानें क्या है पूरा मामला

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Published : Sep 16, 2022, 7:49 PM IST

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के 165 फ्लैट/दुकान खरीदारों को सब लीजडीड कराने के लगभग तीन साल बाद सही मायने में अब अपनी संपत्ति का मालिकाना हक मिल (will get ownership) सकेगा. प्राधिकरण के सीईओ की पहल पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने इन संपत्तियों को रेगुलराइज करने की अनुमति दे दी है. रेगुलराइज हो जाने से फ्लैट खरीदार अपनी संपत्ति को बंधक रखकर बैंक लोन प्राप्त कर सकेंगे.

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से 2010 में जियोटेक होम्स बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर 16सी में और पैरामाउंट प्रॉप बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड को सेक्टर-01 में प्लॉट आवंटित किया गया. जियोटेक होम्स में 438 फ्लैट व 13 दुकानों को और पैरामाउंट प्रॉप में 1716 फ्लैटों के सबलीज डीड की स्वीकृति प्रदान की गई.

2019-20 में जियोटेक जियोटेक होम्स ने 288 फ्लैटों व छह दुकानों की और पैरामाउंट प्रॉप ने 1270 फ्लैटों की सबलीज डीड करा ली. इनमें से जियोटेक होम्स के 51 फ्लैट व दो दुकानें और पैरामाउंट प्रॉप के 112 फ्लैटों की सबलीज डीड पर पेच फंस गया.

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बिल्डर कंपनियों के खिलाफ दर्ज है एफआईआर : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से आवंटित बिल्डर परियोजनाओं में बिल्डर, बायर व प्राधिकरण के बीच त्रिपक्षीय सबलीज डीड की जाती है और इसकी तीन प्रतियां प्राधिकरण के समक्ष प्रेषित की जाती हैं. इन पर प्रबंधक बिल्डर की साइन के बाद दो प्रतियां बिल्डर व खरीदार को उपलब्ध करा दी जाती हैं और एक प्रति प्राधिकरण में रख दी जाती है. खरीदार को परमिशन टू मॉर्गेज देने के समय इसकी जरूरत पड़ती है. इन दोनों प्रकरणों में ऑफिस कॉपी प्राधिकरण में उपलब्ध नहीं पाई गई और जब खरीदारों ने मॉर्गेज परमिशन के लिए आवेदन किया तो उस समय की प्रबंधक (बिल्डर) ने सबलीज डीड पर अपने हस्ताक्षर से इंकार कर दिए, जिसके चलते इन रजिस्ट्रियों को त्रुटिपूर्ण मानते हुए बिल्डर कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई.

इस बीच इन रजिस्ट्रियों को रेगुलराइज किए जाने के लिए खरीदारों की तरफ से लगातार कोशिश होती रही. खरीदारों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ व मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह से मिलकर इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए गुहार लगाई. इसकी जांच कराने पर पता चला कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय में इन संपत्तियों की सबलीज डीड पर प्रबंधक (बिल्डर) की तरफ से अधिकृत प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किए हैं. सीईओ की पहल पर इस प्रकरण को हाल ही में संपन्न ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड के समक्ष रखा गया. बोर्ड ने इन सबलीज डीड को रि-वैलिडेट कराते हुए रेगुलराइज करने की अनुमति प्रदान कर दी है.

साथ ही बोर्ड ने तत्कालीन प्रबंधक के हस्ताक्षर की फॉरेंसिक ऑडिट कराने और दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इन संपत्तियों की सबलीज डीड को रेगुलराइज करने के प्राधिकरण बोर्ड के फैसले से दोनों बिल्डर परियोजनाओं के 163 फ्लैट व दो दुकान खरीदारों को सही मायने में अपनी संपत्ति पर मालिकाना हक मिल सकेगा, जिस पर वे बैंक लोन भी प्राप्त कर सकेंगे. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी बिल्डर सौम्य श्रीवास्तव ने इसका कार्यालय आदेश शीघ्र जारी करने और इन सबलीज डीड को रि-वैलिडेट कर रेगुलराइज किए जाने की बात कही है.

खरीददार को मिलेगा मालिकाना हक, दोषियों पेपर होगी कार्रवाई: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ व मेरठ मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने बताया कि फ्लैट व दुकान खरीदारों की सहूलियत को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने जियोटेक होम्स व पैरामाउंट प्रॉपबिल्ड की 165 यूनिटों की सबलीज डीड को रि-वैलिडेट कर रेगुलराइज करने की अनुमति दे दी है. सबलीज डीड पर तत्कालीन प्रबंधक (बिल्डर) के हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच जल्द कराई जाएगी. दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी.

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