नई दिल्ली/गुरुग्राम: भले ही देश व प्रदेश सरकार जय जवान का नारा देकर युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाकर युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हो, लेकिन उन युवाओं को सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली योजनाओं का कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.
स्टेडियम के अभाव में सड़क पर तैयारी कर रहे युवा स्टेडियम के अभाव में सड़क पर लगा रहे दौड़
युवा दिन रात कड़ी मेहनत कर सेना में भर्ती होने की तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन स्टेडियम के अभाव में ये सैकड़ों युवा सड़क पर दौड़कर सेना में भर्ती होने के लिए प्रैक्टिस कर रहे हैं.
सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी करने वाले युवाओं का कहना है कि कहने को तो गांव दोहला 16 जुलाई 2016 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गोद लिया था, लेकिन युवाओं को प्रैक्टिस करने के लिए ना किसी तरह के स्टेडियम का निर्माण कराया गया है और ना ही दौड़ने के लिए किसी तरह का कोई ट्रैक बनाया गया है.
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मजबूरी में सड़क पर दौड़ना पड़ता है. जहां पर ये डर बना रहता है कि दौड़ के दौरान कोई वाहन चालक किसी को अपनी चपेट में ना ले ले, लेकिन इस बात की प्रवाह ना तो स्थानीय प्रसाशन को है और ना ही सरकार के नुमाईंदों को. युवाओं ने बताया कि इस माह सेना में भर्ती होनी है जिसके लिए उनको सड़क पर दौड़कर अपनी प्रैक्टिस करनी पड़ रही है.
सरकार घोषणाएं तो करती है मगर धरातल पर कुछ नहीं होता
वहीं युवाओं के लिए स्टेडियम की मांग को लेकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सतबीर पहलवान ने भी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार युवाओं के लिए घोषणाएं तो बहुत करती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं है.
गांवो में पंचायतों के पास जमीन है, लेकिन सरकार ने युवाओं के लिए किसी तरह का कोई स्टेडियम नहीं बनवाया है और ना ही दौड़ने के लिए किसी तरह का ट्रैक जबकि ग्रामीण आंचल में रहने वाले युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.
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