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नूंह: स्कूल अपग्रेड न होने से 10वीं के बाद नहीं पढ़ पा रही छात्राएं - नूंह पाटूका कन्या उच्च विद्यालय

नूंह जिले में महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पीछे हैं जिसका कारण छात्राओं के लिए उचित स्कूल की व्यवस्था न होना है. पाटूका कन्या उच्च विद्यालय में छात्राएं बस 10वीं तक ही पढ़ पाती हैं. इसके बाद पढ़ने के लिए छात्राओं को 12 से 15 किलोमीटर दूर जाती हैं. जिसकी वजह से उनको परिवार के लोग भी बाहर पढ़ने नहीं जाने देते.

students not getting after 10th standard due to non upgrade school in nuh
10वीं के बाद नहीं पढ़ पा रही छात्राएं

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Published : Mar 3, 2020, 11:24 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: जिले के तावडू खंड के सहसोला पट्टी पाटूका की बेटियां इन दिनों काफी परेशान हैं. परेशानी की वजह है दसवीं के बाद आगे पढ़ाई जारी रखना. गांव में सिर्फ दसवीं तक का स्कूल है. गांव से 12वीं का स्कूल 12 से 15 किलोमीटर दूर है.

स्कूल अपग्रेड न होने से 10वीं के बाद नहीं पढ़ पा रही छात्राएं

गांव से शहर तक आने-जाने के लिए परिवहन के साधन नहीं हैं. लोगों के आर्थिक हालात निजी स्कूलों में पढ़ाने के लायक नहीं हैं. दसवीं की करीब 40 छात्राओं का ये दर्द विदाई पार्टी में प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के सलाहकार सुनील जागलान के सामने छलक पड़ा. छात्राओं ने आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए स्कूल का दर्जा बढ़ाने की मांग की.

छात्राओं ने स्कूल अपग्रेड की मांग

छात्राएं पढ़ना चाहती हैं, लेकिन सिस्टम का ध्यान बेटियों की शिक्षा को लेकर उतना गंभीर नहीं दिखाई देता. सरकार लगातार 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के नारे तो लगा रही है लेकिन प्रशासन लगातार इस नारे को पलीता लगा रहा है. पाटूका कन्या उच्च विद्यालय में करीब 260 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं. इस कन्या स्कूल में आस-पास की करीब पांच की गांव की बेटियां पढ़ने आती हैं.

दूर भेजने से डरते हैं परिजन

छात्राओं का का कहना है कि अगर उन्हें दूरदराज इलाकों में जाना पड़ा तो सुरक्षा-परिवहन जैसे मसलों पर सोचना पड़ेगा. शरारती तत्व गांव के स्कूल में आते-जाते समय ही छेड़छाड़ करते हैं. दूरदराज इलाकों में तो उन्हें सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है.

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लड़कियों की साक्षरता दर मेवात में बेहद कम है. यही वजह है कि पाटूका गांव सहित बहुत से गांव की बेटियां मजबूरी में पढ़ाई छोड़ देती हैं. ये बेटियां उन लोगों के मुंह पर तमाचा मारने का काम कर रही हैं. जो मेवात में लड़कियों की शिक्षा के लिए सिस्टम के बजाय अभिभावकों को ड्रॉपआउट की मुख्य वजह मानते हैं.

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