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नूंह: आशा वर्कर्स के तेवर सख्त, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

नूंह सामान्य अस्पताल के मांडीखेड़ा प्रांगण में गुस्साई आशा वर्कर ने सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की. इस दौरान आशा वर्कर्स ने राज्य सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधा.

nuh asha workers protest for demands
आशा वर्कर्स के तेवर सख्त

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Published : Sep 3, 2020, 9:58 PM IST

नई दिल्ली/नूंह:स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही आशा वर्कर राज्य सरकार से परेशान है. मांगों के पूरी नहीं होने से नाराज आशा वर्कर करीब 27 दिनों से लगातार सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा में धरना दे रही है. ऐसे में आशा वर्कर्स ने दो टूक कहा कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन सहित अन्य मांगों पर विचार नहीं करती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.

आशा वर्कर्स के तेवर सख्त, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

'सरकार ने नहीं भेजा बैठक के लिए बुलावा'

अब सरकार को तय करना है कि उनको आशा वर्कर का धरना प्रदर्शन कितने दिन तक चलाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ आशा प्रतिनिधि मंडल की बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा उन्हें नहीं मिला है. आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं और उन्होंने कहा कि जब काम करना होता है, तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना तो सरकार उस पर गंभीर दिखाई नहीं देती.

18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग

आशा वर्कर्स का कहना है कि आज चार हजार रुपये से ज्यादा रुपये एक मजदूर को भी मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानी 18 हजार रुपए चाहिए. महिलाओं ने राज्य सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

आशा वर्कर ने अब अपने सख्त तेवर जाहिर कर दिए हैं, ऐसे में सरकार को कोई ना कोई रास्ता निकालना चाहिए. वरना अगर आशा वर्कर की हड़ताल व धरना प्रदर्शन लंबा खींचा तो स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका असर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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