नई दिल्ली/गुरुग्राम: वैसे तो कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त माने जाते हैं. आवारा कुत्ते भी इलाके के चौकीदार की भूमिका भी अदा करते हैं, लेकिन क्या हो जब यही दोस्त इंसानों की जान के दुश्मन बन जाएं? दरअसल गुरुग्राम में आवारा कुत्तों बढ़ती संख्या लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा ने ये पता लगाने की कोशिश कि क्या गुरुग्राम में कुत्तों की संख्या को कम करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण अभियान चलाया है और ये कितना प्रभावी है.
आवारा कुत्तों के लिए गुरुग्राम नगर निगम ने चलाया एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम, जानें कितना रहा प्रभावी गुरुग्राम नगर निगम एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत डॉग्स की नसबंदी का अभियान चलाता है. हर साल नगर निगम अपने बजट में से डॉग्स की नसबंदी पर लाखों रुपए खर्च करता है. नसबंदी के बाद कुत्तों की पहचान के लिए कान पर एक वी-शेप का आकार देते हैं.
बीते साल 3000 से ज्यादा डॉग्स की हुई नसबंदी
जानकारी के अनुसार पिछले साल तकरीबन 3 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत कराई जा चुकी है. गुरुग्राम नगर निगम इस अभियान को और तेज करनी की तैयारी में है.
कैसे होती है नसबंदी की प्रक्रिया?
एक कुत्ते की नसबंदी पर करीब 740 रुपये का खर्च आता है. आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग हाउस में चार-पांच दिनों तक रखा जाता है. वहां उनकी नसबंदी से लेकर खान-पान और दवाइयों का इंतजाम होता है. टांके सूखने के बाद कुत्तों को उन्हीं स्थानों पर छोड़ा जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. इनकी नसबंदी एक्सपर्ट पशु चिकित्सक करते हैं.
पुरानी कंपनी का टेंडर किया रद्द
गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर विनय प्रताप सिंह की माने तो एनिमल बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन करने वाली कंपनी का टेंडर फिलहाल कैंसिल कर दिया गया है, क्योंकि वो ठीक से काम नहीं कर रही थी. ऐसे में नए टेंडर जारी किए गए थे, लेकिन उस पर कोर्ट का स्टे आ गया है. नगर निगम को उम्मीद है कि जल्द ही नए टेंडर जारी होंगे और इस अभियान को और तेज किया जाएगा.
शिकायत मिलने पर की जाती है कार्रवाई
गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर की माने तो कई बार उन्हें आवारा कुत्तों के आतंक की शिकायतें मिलती हैं. अगर कुत्तों के काटने संबंधित कोई शिकायत करता है तो उस क्षेत्र पर निगम की टीम जाकर वहां सर्वे करती है. जिसके बाद पर्याप्त कार्रवाई की जाती है.
कुत्ते के पंजीकरण या अनुमति जैसी कोई बाध्यता नहीं
सिर्फ आवार ही नहीं बल्कि पालतु कुत्तों से भी इंसान को जान का खतरा रहता है. फिलहाल नगर निगम की तरफ से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसमें कुत्ते को पालने के लिए पंजीकरण या अनुमति जैसी कोई बाध्यता हो. ऐसे कोई नियम कायदे-कानून नहीं हैं. स्थिति ये है कि गुरुग्राम नगर निगम को ये भी नहीं पता कि कितने शहर में कितने पालतू कुत्ते हैं और कौन-कौन सी ब्रीड के हैं. काफी लोग तो घरों में खतरनाक ब्रीड वाले कुत्ते पालते हैं. जब लोग उन्हें घुमाने के लिए बाहर निकलते हैं, तो वो कुत्ते भी दूसरों को काट लेते हैं.
आवारा कुत्तों की गुरुग्राम शहर में भरमार
आवारा कुत्तों की गुरुग्राम शहर के साथ कस्बों और गांवों में भरमार है. शहर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां आवारा कुत्ते ना हो. रात के समय पैदल चलने वालों के साथ बाइकों के पीछे दौड़ पड़ते हैं. लोग शाम ढलने पर बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते हैं. कुछ कुत्तों का शिकार बन जाते हैं तो कुछ बचने के चक्कर में चोटिल होते हैं.