नई दिल्ली/गुरुग्राम: देश का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. बात हरियाणा की करें तो यहां भी भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पिछले 1 दशक में लगभग दोगुना भू-जल स्तर का संकट बढ़ा है. लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को देखते हुए पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे. इन 21 शहरों में जीरो ग्राउंट वाटर का नीति आयोग की ओर से अनुमान लगाया गया था. इन 21 शहरों में दिल्ली-NCR सहित बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं.
बता दें कि भू-जल स्तर के मामले में दिल्ली-NCR सहित गुरुग्राम रेड डार्क जोन में है. इसे देखते हुए यहां जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है. दरअसल, 1980 में गुरुग्राम की जो आबादी 1 लाख के आसपास थी वो अब 26 लाख के पार पहुंच गई है. बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बीच गुरुग्राम में भूमिगत जलस्तर तेजी से प्रभावित हुआ है. तेजी से भू-जल स्तर घटता जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाले कुछ सालों में लोगों को भुगतना पड़ सकता है.
तो पानी की बूंद-बूंद को तरस जाएंगे
सीडब्ल्यूएमआई (कमोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी. इससे लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे. वहीं विशेषज्ञों की मानें तो इसमें सुधार के लिए सामूहिक प्रयास का होना जरूरी है. घटते भू-जल स्तर को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की.
लगातार गिर रहे भू-जल स्तर के क्या कारण हैं? कैसे घटते जल स्तर को रोका जा सकता है? इस पर ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की. बता दें कि हरियाणा के कैनाल और क्रॉप्स पर डॉ. शिव सिंह रावत ने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की है. वो बीते कई सालों से हरियाणा में घटते जलस्तर पर काम कर रहे हैं.