नई दिल्ली/गुरुग्राम:जिला उपायुक्त अमित खत्री ने किसानों से आग्रह किया है कि वे टिड्डी दल से अपनी फसलों को बचाने के लिए सावधानी बरतें और निगरानी रखें. किसान कृषि विभाग के साथ तालमेल बनाए रखें और टिड्डी दल से संबंधित सूचना मिलने पर तुरंत प्रशासन को अवगत करवाएं.
उन्होंने कहा कि टिड्डी का प्रकोप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसकी पड़ोसी राज्य के अलावा प्रदेश के जिलों में आक्रमण की खबरें प्राप्त हो रही हैं. ऐसे में कृषि विभाग को टिड्डी दल के हमले के संभावित क्षेत्रों में समुचित मात्रा में दवा उपलब्ध करवाने और गांव स्तर पर किसानों को दवा के छिड़काव की मात्रा की जानकारी बारीकी से देने बारे कहा है.
'समय रहते टिड्डियों को रोकना जरूरी है'
कृषि विभाग के अधिकारी गोदारा ने बताया कि टिड्डी दल का आर्थिक कागार 10 हजार प्रति हैक्टेयर यानि एक टिड्डी प्रति वर्ग मीटर या 5-6 टिड्डी प्रति झाड़ी हो सकता है. टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है. इन्हें समय रहते नियंत्रण करना आवश्यक है.
किसान भाई अपनी फसल की सुरक्षा हेतु टिड्डी दल के लिए प्रतिदिन निगरानी अवश्य रखें. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि टिड्डी दल दिखाई देने पर किसान थाली, ढोल , नगाड़े व खाली पीपो की आवाज करके टिड्डी दल को बैठने से रोक सकते हैं व कीटनाशकों के प्रयोग द्वारा ही इसे काबू पाया जा सकता है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे कीटनाशक का प्रयोग टिड्डी दल के ठहराव के समय ही करें.
'टिड्डी दल दिखते ही विभाग को सूचित करें'
गोदारा ने कहा कि टिड्डी दिखते ही हवा की दिशा से 90 डिग्री में चलते हुए हवा की दिशा में स्प्रे करते चलें. किसानों को जैसे ही जिला गुरूग्राम में टिड्डी दल दिखाई दे तो तुरंत इस बारे में अपने खंड कृषि अधिकारी या कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक या उपमंडल कृषि अधिकारी के कार्यालय में संपर्क करें. उन्होंने बताया कि सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी को मोबाइल नंबर- 9416212838, उपमंडल कृषि अधिकारी का नंबर-9416424053 तथा तकनीकी सहायक का मोबाइल नंबर- 7988786810 है.
'टिड्डियों को भगाने की तैयारी पूरी है'
गोदारा ने कहा कि बीते दिनों टिड्डी दल गुरुग्राम जिला से होकर गुजरा था और यह प्रशासन और किसानों की सजगता का ही परिणाम रहा है किसी भी रूप से अधिक नुकसान किसानों की फसलों को नहीं हुआ. कृषि विभाग की ओर से से फायर टेंडर सहित ट्रैक्टर पर पंपिंग सैट तैयार किए गए हैं. वहीं किसान भी अपने छिड़काव के पंप आदि तैयार रखें ताकि जरूरत पडने पर उनका प्रयोग किया जा सके.