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गुरुग्राम में गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की धूम

सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती (प्रकाश पर्व) को लेकर गुरुग्राम में गुरुद्वारों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा है. शहर के सभी गुरुद्वारों को बेहतर तरीके से सजाया गया है. गुरुद्वारों पर 550वें प्रकाश पर्व को लेकर 550 अखंड पाठ भी हुए हैं.

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Published : Nov 12, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली/ गुरुग्रामःश्री गुरुनानक देव जी महाराज का 550वां प्रकाश पर्व आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. गुरु नानक देव की शिक्षाओं और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है. इसी कड़ी में आज गुरुग्राम के गुरुद्वारों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. जगह-जगह गुरुद्वारों पर भक्तों के लिए प्रसाद बनाए गए और बांटे गए.

गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की धूम

फूलों और लड़ियों से सजे गुरुद्वारे
सिख धर्म के पहले गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज के प्रकाश पर्व पर गुरुग्राम में गुरुद्वारों को विशेष रूप से सजाया गया है. गुरु श्री नानक देव की 550वी जयंती पर आज गुरूद्वारे को लड़ियों और फूलों से सजाया गया है. वहीं हजारों की संख्या में सुबह से ही लोग गुरूद्वारों में पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं के लिए गुरुद्वारे में ही लंगर चल रहे हैं और प्रसाद बनाए जा रहे हैं. पूरा शहर धार्मिक उत्साह में डूबा हुआ है. विभिन्न जगहों पर ‘नगर कीर्तन’ (धार्मिक जुलूस) निकाले गए, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और भजन गाए.

प्रकाश पर्व पर खास कार्यक्रम
प्रकाशपर्व के दिन जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, अखंड पाठ साहिब के भोग डाले जाते हैं और लंगर बरताए जाते हैं. वहीं प्रकाश पर्व से पहले ही प्रभातफेरियां निकालकर गुरु जी के आगमन पर्व की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. संगत सतनाम श्री वाहेगुरु और वाणी का जाप करते हुए चलती है. शहरों में भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं. सभी जत्थों का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया जाता है. धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं और शबद कीर्तन किया जाता है. गुरुद्वारों में दिन-रात धार्मिक कार्यक्रम जारी रहते हैं.

गुरु नानक देव जी का जन्म
बता दें कि गुरू नानक देव जी सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक देव जी की वाणी में जीवन को सरलतम और श्रेष्ठतम बनाने के उपाय माने जाते हैं. उन्होंने हार-जीत, मान-अपमान, इच्छा-लोभ को दुख का कारण बताया है. मोह को घिसकर स्याही बनाओ, बुद्धि को श्रेष्ठ कागज और प्रेम को कलम बनाकर चित्त को लेखक बनाओ. जैसी कई बातें गुरू नानक जी ने कही है.

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