नई दिल्ली/गुरुग्राम: कोरोना कॉल में देश को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा. तो वहीं अनलॉक के जरिए तमाम आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है, लेकिन अभी भी देश की कई आईटी और एमएनसी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम का सहारा ले रही हैं. जिसके चलते कॉरपोरेट कैटरर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वर्क फ्रॉम होम के चलते कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े करीब 20 हजार परिवार पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.
पहले होती थी 18 हजार मील सप्लाई, अब सिर्फ 250 से 300
गुरुग्राम के सेक्टर-37 में खुशबू फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कैटरर्स के चेयरमैन हारुन की मानें तो पहले औसतन 18,000 मील प्रतिदिन कंपनियों में सप्लाई होती थी, लेकिन अब मात्र 3 कंपनियों में खाना जा रहा है वो भी 250 से 300 मील/दिन. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं और इसलिए कंपनियों में खाने की सप्लाई लगभग ना के बराबर है.
नौकरी जाने का खतरा
कॉरपोरेट कैटरर्स में काम कर रहे वर्करों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने साफ कहा की कोरोना काल अगर जल्द खत्म नहीं हुआ तो उनकी नौकरी जा सकती है. क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के चलते काम नहीं बचा है और डर के साए में वो नौकरी करने को मजबूर हैं. डर सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि नौकरी जाने का भी है.
गुरुग्राम में खाना सप्लाई करने वाले करीब 10-12 बड़े कैटरर्स हैं, लेकिन 150 से अधिक कैटरर्स ऐसे हैं जो छोटे स्केल पर अपना काम करते हैं. वहीं कॉरपोरेट कैटरर्स से जुड़े लोगों की मानें तो तमाम छोटे कैटरर्स ने या तो काम बंद कर दिया है या फिर वो कोई और विकल्प खोजने में जुट गए हैं, क्योंकि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद हुए नुकसान से भरपाई करना उनके लिए बेहद मुश्किल साबित हो गया है.