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गुरुग्राम: रैन बसेरों का ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चेक, जानें सच्चाई - shetlar home reality check

गुरुग्राम में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम ने गुरुग्राम के उन तमाम इलाकों का दौरा किया और रैन बसेरों की सच्चाई क्या है, उसका खुलासा भी किया

bad condition of night shelters in gurugram
रैन बसेरों का ईटीवी भारत ने किया रियलिटी चेक

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Published : Dec 7, 2019, 2:23 PM IST

नई दिल्ली/गुरुग्राम: साइबर सिटी के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. गुरुग्राम का न्यूनतम तापमान 8.6 दर्ज किया गया है. उसके बावजूद यहां कुछ ऐसे तबके के लोग हैं, जो खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने गुरुग्राम के रैन बसेरों

रैन बसेरों का रियलिटी चेक
जिला प्रशासन और नगर निगम हर साल रैन बसेरों को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है. इन्हीं दावों की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने गुरुग्राम के उन तमाम इलाकों का दौरा किया और रैन बसेरों की सच्चाई क्या है, उसका खुलासा भी किया.

गुरुग्राम के रैन बसेरे की खुली पोल
बता दें कि गुरुग्राम में करीब 12 रैन बसेरे हैं. जिनमें से तीन ही नगर निगम द्वारा फिलहाल चालू किए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम गुरुग्राम के बस स्टैंड के नजदीक महावीर चौक में बने रैन बसेरे में पहुंची तो वहां पर कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था. वही चौंकाने वाली बात यह थी कि इस रैन बसेरे में एक शख्स कुंडी लगा कर बड़े आराम से सो रहा था और जब इस शख्स से पूछा कि आप कौन हो और आप कुंडी लगाकर क्यों सो रहे हो तो पता चला कि यह शख्स रैन बसेरे का गार्ड है.

हवा-हवाई साबित हुए नगर निगम के दावे
जहां नगर निगम दावा करता है कि रैन बसेरों में पीने का पानी, शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध की जाती हैं. ऐसा कुछ हमारी पड़ताल में सामने नहीं आया और नगर निगम के दावों की पोल खुल गई. क्योंकि महावीर चौक में बने रैन बसेरे में न तो पीने के लिए स्वच्छ पानी था और न ही कोई शौचालय.

रैन बसेरे में स्वच्छता अभियान की उड़ी धज्जियां
ईटीवी भारत की टीम पड़ताल करते हुए गुरुग्राम के भीम नगर स्थित रैन बसेरे में पहुंची और यहां का मंजर ये था कि यहां न तो कोई गार्ड था और न ही कोई साइन बोर्ड. लेकिन उसके बावजूद जब हमारी टीम अंदर पहुंची तो यहां स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ गईं. इस रैन बसेरे में इतनी बदबू कि यहां खड़ा होना मुश्किल था. लेकिन फिर भी यहां लोग मजबूरी में रात गुजारते नजर आए.

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