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नूंह में मलेरिया की रोकथाम के लिए प्रशासन की तैयारियां पूरी

नूंह जिले में मलेरिया के मामले साल दर साल घट रहे हैं. साल 2018 में 1968, साल 2019 में 942 और साल 2020 में अब तक सिर्फ 9 केस मलेरिया के सामने आए हैं. मलेरिया को रोकने के लिए प्रशासन के किए गए उपायों के बारे में बता रहे हैं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार. देखिए रिपोर्ट...

administration preparations completed for prevention of malaria says nuh malaria officer
मलेरिया

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Published : Apr 23, 2020, 10:03 AM IST

नई दिल्ली/नूंह: भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले आते हैं. वहीं हरियाणा का नूंह जिला इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित है. एक दशक पहले एक ही सीजन में मलेरिया से दस हजार से ज्यादा लोग जान गंवा देते थे. नूंह के उजीना क्षेत्र के गांव हाई रिक्स जोन में आते हैं. जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. अच्छी बात ये है कि साल दर साल मलेरिया के मामलों में भारी गिरावट देखने को मिली है.

मलेरिया की रोकथाम के लिए प्रशासन की तैयारी पूरी

25 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व मलेरिया दिवस मनाता है. इस दौरान मलेरिया से निपटने के लिए किए गए इंतजामों की समीक्षा की जाती है. नूंह स्वास्थ्य विभाग ने विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर जिले के सभी ग्राम पंचायत और नगरपालिका में फॉगिंग कराने का फैसला किया है. जिससे मच्छर के प्रकोप को रोका जा सके और नूंह जिले को मलेरिया से मुक्त किया जा सके.

'मलेरिया का सीजन'

जिला मलेरिया अधिकारी और उप सिविल सर्जन डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि जिले में मलेरिया के मामले साल दर साल घट रहे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2018 में 1968, साल 2019 में 942 और साल 2020 में अब तक सिर्फ 9 केस मलेरिया के सामने आए हैं.

उन्होंने बताया कि मलेरिया का सीजन 1 मई से सितंबर महीने के अंत तक चलता है. स्वास्थ्य विभाग मलेरिया को दो राउंड में पूरा कर सकता है. दोनों राउंड तकरीबन ढाई- ढाई महीने के होते हैं. डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि साल 2017 में पौने दो लाख और साल 2019 में सवा लाख मच्छरदानियां जिले में बांटी गई.

मलेरिया के लक्षण

डॉ अरविंद ने बताया कि मलेरिया होने पर सर्दी लगने लगती है. शरीर कांपने लगता है और मरीज को बुखार आ जाता है. उन्होंने बताया कि इसके अन्य लक्षणों में सर्दी के साथ प्यास लगना, उल्टी होना और बेचैनी होना शामिल है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति को ये लक्षण आते हैं तो उसे तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मलेरिया का इलाज पूरा करना चाहिए. अगर किसी ने मलेरिया का इलाज पूरा नहीं लिया तो उसके कीटाणु फिर से इंसान के शरीर में रह जाते हैं. जिसके चलते उसे दोबारा ये बिमारी जकड़ सकती है.

मलेरिया से बचाव

डॉ. अरविंद बताते हैं कि लोगों को अपने घर के आसपास जलभराव नहीं होने देना चाहिए. क्योंकि ठहरे हुए पानी में ही मच्छर के लार्वा पनपते हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बरसात के सीजन में पानी की टंकी, कूलर, गमले, टायर इत्यादि का खास ख्याल रखें. क्योंकि इसमें भी पानी जमा हो जाता है और मलेरिया जनित मच्छर पनपने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि लोगों को अपने आसपास के तालाब इत्यादी पर तेल डाल देनी चाहिए. इससे मच्छर के लार्वा पनप नहीं पाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर तालाब में मछली पालन किया जा रहा है. तो उस तालाब में कुछ गमभुजिया मछली को भी डाला जाए. उन्होंने बताया कि गमभुजिया मछली मच्छर के लार्वा को खा जाती है. वहीं किसी बर्तन में भरे पानी को ढंक कर रखें ताकि हवा के जरिए से मच्छर के लार्वा उसमें नहीं पनप सकें.

सरकार का इंतजाम

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि नूंह को मलेरिया मुक्त करने के लिे जिले भर में 27 गैंग की नियुक्ति की गई है. हर गैंग में सुपरवाइजर सहित छह लोग होंगे. उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर 165 लोगों की नियुक्ति की जा चुकी है. जो 1 मई से गांव और शहर में दवाई छिड़कने का काम शुरू करेंगे.

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