नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार 5 साल संविदा पर आधारित सरकारी नौकरी देने का नियम लाने की तैयारी कर रही है. इस पर मोदीनगर के युवाओं का कहना है कि इस नीति के लागू हो जाने के बाद भ्रष्टाचार बढ़ेगा और युवाओं का शोषण होगा. इस नियम पर रोक लगाने की मांग को लेकर उन्होंने अपर जिलाधिकारी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है.
पांच साल तक संविदा के आधार पर होगी नियुक्ति
उत्तर प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ और समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद शुरुआती पांच साल तक कर्मियों को संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर नियुक्त किया जाएगा. इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे. पांच साल की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे. उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी.
नई व्यवस्था में तय फार्मूले पर इनका छमाही यानी हर 6 महीने पर मूल्यांकन होगा. इसमें हर साल 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे. जो पांच साल की सेवा तय शर्तों के साथ पूरी कर सकेंगे. उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी. वहीं अब दूसरी ओर युवाओं ने इस नीति का विरोध करना शुरू कर दिया है. जिसको लेकर मंगलवार को मोदीनगर के युवाओं ने इस नीति पर रोक लगाने की मांग को लेकर अपर जिलाधिकारी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है.