नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी की अन्य सीमाओं पर अन्नदाता आंदोलन कर रहा है. अन्नदाता की मांग है कि केंद्र सरकार हाल ही में लाए गए कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाए. बीते 38 दिनों से अन्नदाता कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सड़कों पर डटा हुआ है. आंदोलन में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा के रही हैं. महिलाएं आंदोलन में खाना बनाने में सहयोग कर रही हैं.
गाज़ीपुर बार्डर: किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहीं महिलाएं
दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी की अन्य सीमाओं पर हो रहे किसानों के आंदोलन में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और लंगर में खाना बनाने में सहयोग कर रही हैं.
लंगर में दे रहीं हैं सेवाएं
दिल्ली की रहने वाली दलजीत ने बताया कि आमदिनों में गुरुद्वारा में जाकर हम लोग सेवा करते हैं. आंदोलन शुरू होने के पहले दिन से ही गाज़ीपुर बार्डर पर गुरु का लंगर जारी है. गुरु के लंगर में हम लोग पहले दिन सेवा दे रहे हैं. यहां सब्ज़ियां काटने सहित अन्य खाना बनाने के कार्यों में हमलोग सहयोग कर रहे हैं. लंगर में हर रोज हजारों लोगों का खाना बनता है. ऐसा में यहां सहयोग करने वालों की आवयश्कता रहती है. फिलहाल तो हम खाना बनाने में सहयोग दे रहे हैं. आगे भी हमें कुछ ज़िम्मेदारी मिलती है तो उसको भी हम बखूबी निभाएंगे.
दिल्ली का महिलाएं भी कर रही हैं सहयोग
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आंदोलन में किसानों के साथ महिलाएं भी आई हैं लेकिन दिल्ली की महिलाएं भी गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में अपना योगदान दे रही हैं. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से महिलाएं आंदोलन में पहुंच किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करी हैं. महिलाओं का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तब तक वह आंदोलन में पूरी तरह से डटी रहेंगी और हर संभव सहयोग देंगी.