नई दिल्ली: लाॅकडाउन के बीच मुस्लिम समुदाय का रमजान का महीना चल रहा है. आम दिनों में पांच वक्त की नमाज से अलग रमजान में एक खास तरह की नमाज पढ़ी जाती है. जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. आखिर तरावीह की नमाज रमजान में ही क्यों पढ़ी जाती है और क्या है इस नमाज में खास, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मुफ्ती साहब से की खास बातचीत की.
'कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है'
कहा जाता है कि रमजान का महीना काफी फजीलत वाला है, जैसा की सरकारे दो आलम मोहम्मद साहब फरमाते हैं कि रमजान के मुबारक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. इन दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे दिन रोजा रखकर और रात को जाकर नमाज पढ़कर खुदा की इबादत करते हैं.
मौलाना ने बताया कि रमजान के महीने में तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है यानि कुरान शरीफ को पूरा पढ़ा जाता है. जिससे कि आखिर में खुदा के सामने अपने गुनाहों को माफ कराया जा सकें. ईटीवी भारत को मुफ्ती आबिद कासमी ने बताया कि रमजान के महीने में पांच वक्त की नमाज के अलावा ईशा की नमाज के बाद खास तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज ईशा की नमाज के बाद 20 रकात पढ़ी जाती है. हर बालिक मर्द और औरत पर तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत है. क्योंकि हमें तरावीह की नमाज पढ़ने का रमजान में ही हुकुम मिला हैं.