नई दिल्ली/गाजियाबाद: यूक्रेन में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. हजारों की संख्या में छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं और भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. भारत सरकार द्वारा भी लगातार यूक्रेन से छात्रों को वापस लाने की कवायद की जा रही है. ऐसे भी बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्या कुछ कारण है जिनकी वजह से बड़ी संख्या में भारत से छात्र मेडिकल की पढ़ाई (Medical student in Ukraine) करने के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं.
ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने ज्ञानमुद्रा कोचिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर भूपत सिंह से बातचीत की. भूपत सिंह तकरीबन डेढ़ दशकों से छात्रों को मेडिकल से संबंधित कॉन्पिटिटिव एग्जाम और एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी कराते आ रहे हैं. भूपत सिंह ने बताया कि कई कारण हैं जिसके चलते भारत से हजारों की संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन का (medical studies in ukraine) रुख करते हैं.
उन्होंने बताया कि भारत में मेडिकल विशेष तौर पर एमबीबीएस की पढ़ाई के क्षेत्र में कंपटीशन काफी अधिक है. सरकारी कॉलेजों में फीस बेहद कम है लेकिन इसके साथ ही सरकारी कॉलेजों में सीटें भी सीमित हैं. अधिकतर छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाता है. जबकि निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस काफी अधिक है. निजी मेडिकल कॉलेजों में मोटी फीस के साथ डोनेशन भी देना पड़ता है जबकि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए किसी प्रकार का डोनेशन नहीं देना पड़ता है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए सीटों की संख्या भी काफी अधिक है.