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ट्रैक्टर और किसान BJP के दिमाग से निकलने नहीं देंगे : टिकैत

किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने जा रहा है. इस मौके पर 29 नवंबर को संसद भवन पर ट्रैक्टर से कूच करने का एलान भाकियू नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) ने किया. यूपी में चुनाव काे लेकर भाजपा ने राकेश टिकैत काे घेरने की तैयारी की है.

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Published : Nov 13, 2021, 4:26 PM IST

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत

नई दिल्ली : कृषि कानूनों (krishi kanoon) के खिलाफ लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को भले ही केंद्र की मोदी सरकार अनदेखा कर रही हो, लेकिन सूबे में होने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर पक्ष व कमजोरियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. भाजपा किसान आंदोलन की वजह से जरा भी जोखिम नहीं लेना चाह रही है.

ऐसे में किसान आंदोलन (kisan andolan) का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) को घेरने के लिए भाजपा किसान मोर्चा की ओर से पूरे सूबे में ट्रैक्टर रैली के जरिए चुनावी माहौल बनाने की प्लानिंग है. ट्रैक्टर रैली की शुरुआत पूर्वांचल के मऊ जिले से 16 नवंबर को होगी. 16 से 30 नवंबर तक पूरे प्रदेश में ट्रैक्टर रैली (Tractor rally) का आयोजन किया जाएगा.

राकेश टिकैत

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भाजपा की ट्रैक्टर रैली पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा

ट्रैक्टर रैली तो निकलनी चाहिए. इनके (BJP) दिमाग से किसान और ट्रैक्टर नहीं निकलना चाहिए. भाजपा ट्रैक्टर (Tractor rally) से प्रचार करेगी तो ठीक रहेगा. भाजपा को ट्रैक्टर से प्रचार करना चाहिए. आखिर ट्रैक्टर तो किसान का ही है. हम भाजपा सरकार को ट्रैक्टर को भूलने नहीं देंगे. सरकार को हमेशा ट्रैक्टर और किसान याद रहेगा.



बता दें कि हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं कि जब भाजपा नेता गांवों में पहुंचे तो किसानों और भाजपा नेताओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई. टिकैत (Rakesh Tikait) से सवाल किया गया कि जब भाजपा की ट्रैक्टर रैली पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में पहुंचेगी तो क्या किसी प्रकार की टकराव की स्थिति फिर एक बार पैदा हो सकती है. टिकैत ने कहा कि हमारी तरफ से कभी भी टकराव की स्थिति पैदा नहीं की जाती है.

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राकेश टिकैत के मुताबिक, लड़ाई (kisan andolan) लंबी चलेगी क्योंकि सरकार किसानों को थकाना चाहती है और किसान थकने वाला नहीं है. टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) का कहना है कि कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले एक बार फसलों का व्यापार हुआ तो किसान तबाह हो जाएगा और उसे घाटे के कारण खेतों को भी इन कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. अब दो ही विकल्प किसानों के सामने हैं या तो खेती-बाड़ी इन कंपनियों के हवाले कर अपने ही खेत में मजदूर बन जाएं या इनका विरोध कर आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खेती को सुरक्षित करें.

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