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मोदीनगर में बंदरों को पकड़ने के लिए जारी टेंडर पर लगी रोक, सामाजिक संस्थाओं में रोष - मोदीनगर में बंदर पकड़ने की मनाही

मोदीनगर में बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर रोक दिया गया है. ईटीवी भारत को मोदीनगर की सामाजिक संस्थाओं ने बताया कि सांसद मेनका गांधी के निर्देश पर बंदरों को पकड़ने के लिए जारी की गई एनओसी रद्द कर दी गई है. जिसके बाद उन लोगों में काफी रोष है. इसलिए वह फिर से आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

Tender ban on release of monkeys in Modinagar
बंदरों को लेकर सामाजिक संस्थाओं में रोष

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Published : Dec 24, 2020, 4:17 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:मोदीनगर में तमाम सामाजिक संस्थाओं के संघर्ष और अनशन करने के बाद बंदरों को पकड़ने के लिए वन विभाग की ओर से एनओसी जारी की गई थी. इसके बाद टेंडर जारी होने पर बंदरों को पकड़ने का काम शुरू हो चुका था. लेकिन सांसद मेनका गांधी के निर्देश पर बंदरों को पकड़ने के लिए जारी की गई एनओसी रद्द कर दी गई है और टेंडर को रोक दिया गया है. जिसको लेकर मोदीनगर की तमाम समाजिक संस्थाओं में रोष है.

बंदरों को लेकर सामाजिक संस्थाओं में रोष

शिकायत के बाद अधिशासी अधिकारी के पास फोन आया था


बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए धरना-प्रदर्शन तक करने वाली सामाजिक संस्था रानी लक्ष्मीबाई फाउंडेशन की अध्यक्ष कुसुम सोनी ने बताया कि बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर पर रोक लगने की वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. यह पता नहीं लग पा रहा है कि यह किसकी शिकायत या अनियमितता के कारण रोका गया है. लेकिन इस समस्या को लेकर वह मेनका गांधी से जल्द मुलाकात करेंगे. कुसुम सोनी ने बताया कि उनको अधिकारियों ने बताया कि किसी की शिकायत के बाद सांसद मेनका गांधी का नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के पास फोन आया था. उसके बाद टेंडर को रोक दिया गया है.


सांसद मेनका गांधी से करेंगे मुलाकात


ईटीवी भारत को ऊर्जा फाउंडेशन के अध्यक्ष जयकुमार बिंद्रा ने बताया कि इतने संघर्ष के बाद बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर जारी हुआ था. लेकिन उसको रोक दिया गया है. इस मामले को लेकर वह सांसद मेनका गांधी से मुलाकात करेंगे.


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ईटीवी भारत को ऊर्जा फाउंडेशन की कोषाध्यक्ष रुचिका बिंद्रा ने बताया कि बंदरों के आतंक से मोदी नगरवासी काफी लंबे समय से परेशान हैं. ऐसे में अब बंदरों को पकड़ने का टेंडर रोक दिया गया है. जिसकी वजह से अब जानवर और इंसान एक जगह रहेंगे. जोकि सेफ नहीं है. इसलिए वह चाहती हैं कि बंदरों को एक निर्धारित प्रक्रिया के साथ पकड़ कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ा जाए. इसके साथ ही सामाजिक संस्थाओं कहना है कि अगर बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर जारी नहीं किया जाता तो वह आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

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