नई दिल्ली/गाजियाबाद:जिन हाथों में कभी कलम हुआ करती थी और आज उन्हीं हाथों में टायर पंचर लगाने वाले औजार हैं. लॉकडाउन ने गेस्ट शिक्षक देवेश कुमार का रोजगार छीन गया जिसके चलते आज उनके हालात कुछ ऐसे ही हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद B.Ed कर चुके देवेश कुमार गाजियाबाद में साइकिल पंचर लगाने का काम कर रहे हैं.
नौकरी जाने पर शिक्षक लगा रहा टायर पंचर
देवेश ने बयां किया अपना दर्द
गाजियाबाद के विजयनगर इलाके के रहने वाले देवेश कुमार 7 सालों तक दिल्ली के स्कूल में टीचर रह चुके हैं. लेकिन आज के समय में देवेश कुमार साइकिल में पंचर लगाने का काम कर रहे हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद B.Ed कर चुके देवेश को लॉकडाउन की मजबूरी ने इन हालातों का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है.
देवेश का कहना है कि दिल्ली के सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर के तौर पर नौकरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ छीन लिया. पहले से ही गेस्ट टीचर्स का भविष्य अधर में थे और लॉकडाउन के दौरान उनकी नौकरी चली गई.
देवेश ने दिल्ली सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. देवेश का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान कहा गया था कि ऑनलाइन क्लासेस देनी होंगी. उन्होंने बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज भी दी, लेकिन उस दौरान के वेतन भी उन्हें नहीं मिले.
जिम्मेदारी के चलते खोली दुकान
देवेश कुमार का कहना है कि उनके घर में 8 साल का बच्चा और पत्नी है. इसके अलावा माता-पिता गांव में रहते हैं. सब की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही है. ऐसे में उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था. इस समय सब्जी भी नहीं बेच सकते क्योंकि सब्जी आसानी से नहीं मिल पा रही है. उसके लिए पहले से मंडी में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. कोई अन्य काम भी उनको नहीं मिल पाया जिसके बाद उन्होंने अंत में सोचा कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, साइकिल पंचर के लिए एक दुकान किराए पर ले ली. क्योंकि थोड़ा बहुत काम उन्हें आता था और वह अपनी साइकिल में पंचर लगाया करते थे.
फिलहाल इस काम से वह अपने परिवार का गुजारा चला पा रहे हैं, हालांकि वह यह जरूर कहते हैं कि उन्हें अगर मौका मिलेगा, तो वह दोबारा से बतौर शिक्षक काम करेंगे. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन तो एक बहाना है. दरअसल दिल्ली सरकार को गेस्ट टीचर के परमानेंट होने को लेकर कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे उन्हें राहत मिल पाए.