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रक्षाबंधन: गाजियाबाद में लॉकडाउन वाले रविवार को खोली गईं मिठाई और राखी की दुकानें - Weekly lockdown.

रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेशानुसार राखी और मिठाई की दुकानें आज यानी रविवार को भी खोली गई हैं. मौजूदा स्थिति के मुताबिक शनिवार और रविवार को सरकार ने बाजारों के साप्ताहिक लॉकडाउन के आदेश दिए हुए हैं. लेकिन इस 55 घंटे के लॉकडाउन के दौरान रक्षाबंधन पर मिठाई और राखी की दुकानों को इस रविवार राहत मिली है.

Sweets and Rakhi shops opened in Ghaziabad on Sunday with lockdown before Rakshabandhan
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Published : Aug 2, 2020, 6:48 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: रक्षाबंधन के त्यौहार से पहले आए रविवार को लॉकडाउन के दौरान भी बाजार में थोड़ी रौनक लौट आई है. जी हां! हम राखी और मिठाई की दुकानों की बात कर रहे हैं. रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेशानुसार राखी और मिठाई की दुकानें आज यानी रविवार को भी खोली गई हैं.

'कोरोना के कारण 20 परसेंट हो गई सेल'

आपको बता दें कि मौजूदा स्थिति के मुताबिक शनिवार और रविवार को सरकार ने बाजारों के साप्ताहिक लॉकडाउन के आदेश दिए हुए हैं लेकिन इस 55 घंटे के लॉकडाउन के दौरान रक्षाबंधन पर मिठाई और राखी की दुकानों को इस रविवार राहत मिली है. हालांकि, यहां पर सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जाना अनिवार्य है.


'कोरोना के कारण 20 परसेंट हो गई सेल'

इसको लेकर मिठाई विक्रेताओं का कहना है कि रौनक भले ही लौट आई है, मगर पहले की तुलना में मिठाई की बिक्री काफी कम हो रही है. बीते सालों के मुकाबले इस साल मिठाई की बिक्री 20 परसेंट ही रह गई है. इसका कारण यह है कि कोरोना के डर से लोग दुकानों पर नहीं आ रहे हैं.

हालांकि, दुकानदारों का इस विषय में यह भी कहना है कि उन्होंने भी प्रोडक्शन कम किया है. पिछले सालों के मुकाबले मिठाई कम बनाई गई है. क्योंकि उन्हें भी पता है कि इस त्यौहार को पिछले सालों के त्यौहारों से तुलना और अनुमान के मुताबिक बिक्री नहीं होगी.


भारत में बनी राखियों की बढ़ी मांग

बीते सालों में देखा गया था कि मार्केट में चाइनीज राखियां भी भारी संख्या में होती थीं लेकिन इस बार लोग हैंडमेड और भारत की बनी हुई राखियां ही खरीदना पसंद कर रहे हैं. इनमें काफी खूबसूरत राखियां ऑप्शन में हैं. हालांकि, बीते सालों में हमने देखा था कि हजारों रुपये की कीमत वाली राखियां भी मार्केट में मौजूद थीं लेकिन इस बार सामान्य दामों वाली राखियां ही मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

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