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गाजियाबाद: पशु पक्षियों का जीवन भी है जरूरी, लॉकडाउन में संस्था कर रही है काम

लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं जिसकी वजह से आवारा पशुओं और परिंदों के लिए खाना उपलब्ध नहीं हो पा रहा है लेकिन गाजियाबाद में एक संस्था रुद्राक्ष चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े लोग गैर पालतू जानवरों और पक्षियों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं.

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लॉकडाउन में संस्था कर रही है काम

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Published : Mar 30, 2020, 11:46 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिल्ली से सटे गाजियाबाद में लॉकडाउन के दौरान पशु-पक्षियों के लिए भी एक संस्था सामने आई है. जो आवारा पशुओं और परिंदों के लिए खाना उपलब्ध करा रही है. संस्था से जुड़े लोग लगातार पक्षियों के लिए दाना-पानी और पशुओं के लिए खाने की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं.

लॉकडाउन में संस्था कर रही है काम

संस्था से जुड़े अमित कुमार का कहना है कि भूखे-प्यासे पशु और परिंदों का ख्याल रखने वाला इस समय कोई नहीं है. ऐसे में उनका जीवन बचाना काफी जरूरी है और इसलिए उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर पशु-पक्षियों के लिए शुरुआत की है.

हजारों की संख्या में है पशु-पक्षी

गाजियाबाद में हजारों की संख्या में गैर पालतू कुत्ते हैं जो सड़को पर रहते हैं और भूखे हैं क्योंकि लोग अब लॉकडाउन की वजह से अपने घरों में ही हैं. ऐसे में कुछ लोग निजी प्रयासों द्वारा और कुछ सामाजिक संस्थाएं और एनजीओ हैं, जो इन्हें खाना मुहैया करा रही हैं लेकिन उनका यह प्रयास छोटे-छोटे स्तरों या निजी स्तर पर है. लेकिन अब भी एक बड़ी संख्या इन आवरा जानवरों की है जो भूखे-प्यासे हैं.

स्ट्रीट डॉग्स को मुहैया कराया जा रहा खाना

गाजियाबाद में भी ऐसी एक संस्था रुद्राक्ष चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े लोगों से ईटीवी भारत की टीम ने बात की, जो गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में स्ट्रीट डॉग्स को खाना मुहैया करा रही है. उनका कहना है कि लोगों के घरों के अंदर रहने की वजह से इन कुत्तों को खाना-पानी नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में इस संस्था से जुड़े लोग गैर पालतू जानवरों और पक्षियों के खाने की व्यवस्था कर रहे हैं. उनका यही मानना है कि सभी लोगों को अपने-अपने स्तर पर अपने आस-पास रह रहे आवारा पशुओं और पक्षियों की मदद करनी चाहिए, ताकि ये भूखे न मरें.

सरकारी स्तर पर भी आस

गाजियाबाद में ही ऐसे पशुओं और पक्षियों की संख्या हजारों में हैं. ऐसे में सभी जगह अगर लोग अपने आस-पास मौजूद जानवरों के खाने की थोड़ी-थोड़ी व्यवस्था भी कर पाये, तो यह आवारा पशुओं के लिए जरूर कुछ मददगार साबित होगा. वही जरूरत है कि सरकारी स्तर पर भी ऐसे बड़े प्रयास किए जाएं.

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