नई दिल्ली/गाजियाबाद:पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने की बेल्ट कहा जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान के क्या कुछ हालात हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे विभिन्न जिलों के किसानों से बातचीत की.
मेरठ में तीन साल का गन्ने का भुगतान बकाया
भारतीय किसान यूनियन के मेरठ मंडल महासचिव चौधरी गजेंद्र सिंह ने बताया कि मेरठ के किसानों का प्रदेश सरकार पर तीन साल का गन्ने का भुगतान बकाया है. गन्ना भुगतान न होने के कारण किसानों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार द्वारा गन्ना भुगतान को लेकर तमाम दावे तो किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बिल्कुल विपरीत हैं. मेरठ के किसानों का तकरीबन 1200 करोड़ रुपये शुगर मिलों पर बकाया है.
सहारनपुर में 550 करोड़ रुपये शुगर मिलों पर बकाया
भारतीय किसान यूनियन के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष भंवर सिंह ने बताया कि सहारनपुर जिले के किसानों का 550 करोड़ रुपये शुगर मिलों पर बकाया है. समय पर गन्ना भुगतान न होने से नई फसल की बुआई करने में किसानों को कर्ज़ पर पैसा उठाना पड़ता है. तब जाकर नई फसल की बुआई हो पाती है. किसानों को गन्ना भुगतान न होने के चलते घर चलाने में भी परेशानी होती है.