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गाजियाबाद में प्रदूषण के खिलाफ सेव अर्थ मिशन की शुरुआत, 35 हजार किलो प्लास्टिक रीसायकल - गाजियाबाद में प्रदूषण के खिलाफ मुहिम

प्रदूषण जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे बड़ी वजह है. प्रदूषण की सबसे बड़ी वजहों में से एक प्लास्टिक है. इसी को लेकर गाजियाबाद में प्लास्टिक के खिलाफ एक मुहिम छिड़ी हुई है. मुहिम का नाम है सेव अर्थ मिशन. आइए इस मुहिम के बारे में जानते हैं.

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गाजियाबाद में प्रदूषण दूर करने के उपाय

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Published : Feb 28, 2022, 7:12 PM IST

नई दिल्ली : आज के दौर में जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रदूषण सबसे बड़ी वजह है. इससे धरती का तापमान बढ़ रहा है. दुनियाभर में फैल रहे प्रदूषण की सबसे बड़ी वजहों में से एक प्लास्टिक है. इससे हम हर पल घिरे रहते हैं. बच्चों के खिलौनों से लेकर, रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों तक में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है.

रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले अधिकतर प्रोडक्ट प्लास्टिक की पैकिंग या फिर प्लास्टिक के डिब्बों (शैम्पू आदि) में आते हैं. आमतौर पर लोग प्लास्टिक के खाली डिब्बों एवं पन्नियों को कूड़े में फेंक देते हैं. कूड़े में फेंके जाने पर प्लास्टिक की पन्नियों और खाली डिब्बों का ठीक प्रकार से निस्तारण नही हो पाता है, जिससे कि आगे चलकर प्लास्टिक के डिब्बे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं. कई बार तो यह खाली डिब्बे नालों के रास्ते नदियों में प्रवेश कर जाते हैं जिससे कि नदियां प्रदूषित होती हैं.

गाजियाबाद में प्रदूषण के खिलाफ अभियान
गाजियाबाद में प्लास्टिक के खिलाफ एक मुहिम छिड़ी हुई है. मुहिम का नाम है सेव अर्थ मिशन. दरअसल समाज का एक बड़ा तबका अब प्लास्टिक के पर्यावरण के प्रति दुष्प्रभाव को लेकर जागरूक हो चुका है. यह मुहिम आम लोगों द्वारा छेड़ी गई है. मुहिम के तहत गाजियाबाद में तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक सोसायटी ओं में रहने वाले लोग अपने फ्लैटों में ही इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक (जैसे डिब्बे, पॉलिथीन आदि) को एक पैकेट में इकट्ठा करते हैं. इकट्ठा हुई प्लास्टिक को हर हफ्ते प्लास्टिक रीसायकल करने वाली कंपनियों को सौंप दिया जाता है. रीसाइकलिंग कंपनी अपनी गाड़ी भेजती है और मुहिम से जुड़े प्रत्येक सोसाइटी से प्लास्टिक को इकट्ठा करती है.
गाजियाबाद में प्रदूषण दूर करने के उपाय
मुहिम से जुड़ी शिप्रा सनसिटी निवासी तनु अग्रवाल बताती हैं कि मई 2020 में उन्हें एक ऑनलाइन वर्कशॉप के माध्यम से जानकारी मिली कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को रिसाइकल कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने प्लास्टिक को रीसायकल करने के पूरे प्रोसेस के बारे में जाना, जोकि बेहद आसान था. तनु अग्रवाल ने ऑनलाइन वर्कशॉप करने के बाद पर्यावरण के बचाव को लेकर अपना योगदान देने का कार्य शुरू किया. उन्होंने तकरीबन एक महीने तक घर में प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा किया जिसके बाद प्लास्टिक रीसायकल करने वाली संस्था आईसीपीए को उसे सौंप दिया गया. आईपीसीए की कलेक्शन व्हेन उनकी सोसाइटी से प्लास्टिक वेस्ट ले गई.
प्लास्टिक का रिसायकल
इंदिरापुरम स्थित प्रिंसेस पार्क सोसाइटी निवासी और अश्मी फाउंडेशन की संस्थापक डॉ भारती गर्ग ने बताया सेव अर्थ मिशन के बारे में गाजियाबाद की विभिन्न सोसायटीओं के लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से बताया गया. शुरुआती दौर में विभिन्न सोसाइटी के दी सदस्यों को जोड़ा गया और उन्हें सेव अर्थ मिशन के बारे में सोसायटी के अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए कहा गया. सदस्यों द्वारा अपनी अपनी सोसाइटी में लोगों को जागरूक कर बताया गया की प्लास्टिक को रिसाइकल करने के लिए केवल घर पर प्लास्टिक इकट्ठा करना होगा जिसके बाद आईसीपीए की गाड़ी घर से ही प्लास्टिक ले जाएगी. धीरे-धीरे लोग इस मुहिम से जुड़ते गए और मौजूदा समय में गाजियाबाद की तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक सोसायटी इस मुहिम से जुड़ी हुई हैं.

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निहो स्कॉटिश सोसाइटी निवासी अंजली प्रकाश बताती हैं पहले रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक कूड़े में फेंक दी जाती थी. लेकिन अब सोसायटी के अधिकतर लोग रीसाइक्लिंग के लिए प्लास्टिक आईपीसीए को दे रहे हैं. इससे न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित हो रहा है बल्कि प्लास्टिक का इस्तेमाल भी विभिन्न प्रोडक्ट बनाने में किया जा रहा है.

गौर ग्रीन सोसाइटी निवासी श्याम तयाल बताते हैं कि गाजियाबाद में सेव अर्थ मिशन का परिवार लगातार बढ़ता जा रहा है. चंद लोगों से शुरू हुई यह मुहिम अब बड़े स्तर पर काम कर रही है. बीते डेढ़ वर्ष में तकरीबन 35 हज़ार किलो प्लास्टिक इकट्ठा कर फ्री साइकिल कराने में कामयाब हुए हैं.

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