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RRTS कॉरिडोर : आनंद विहार में बनी 1.5 किमी लम्बी टनल, पांच महीने बाद दौड़ेगी रैपिड रेल

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के तहत आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर टनल के निर्माण कार्य का 1.5 किलोमीटर पूरा हो गया है. इस तीन किलोमीटर लम्बी टनल के निर्माण का आधा काम पूरा कर लिया गया है. दिल्ली में जंगपुरा, सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार स्टेशन पड़ते हैं जिनमें जिनमें सिर्फ आनंद विहार स्टेशन (Anand Vihar Station) भूमिगत है.

RRTS कॉरिडोर : आनंद विहार में बनी 1.5 किमी लम्बी टनल, पांच महीने बाद पटरी पर दौड़ेगी रैपिड रेल
RRTS कॉरिडोर : आनंद विहार में बनी 1.5 किमी लम्बी टनल, पांच महीने बाद पटरी पर दौड़ेगी रैपिड रेल

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Published : Sep 29, 2022, 12:35 PM IST

गाजियाबाद : दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोरपर आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर टनल का निर्माण कर रही सुदर्शन 4.1 (टनल बोरिंग मशीन) ने 1.5 किमी लंबी टनल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है. लगभग 90 मीटर लंबी यह सुदर्शन 4.1 (टीबीएम) 3 किमी लंबी टनल का निर्माण करेगी, जिसमें से आधी दूरी के टनल का निर्माण कार्य (construction of tunnel) इसने पूरा कर लिया है. दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल लंबाई 82 किमी है, जिसमें से 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है. दिल्ली में इस कॉरिडोर में चार स्टेशन हैं, जंगपुरा, सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार, जिनमें सिर्फ आनंद विहार स्टेशन भूमिगत है.

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दो किलोमीटर बोर हो चुका है टनल :आनंद विहार स्टेशन से न्यू अशोक नगर की ओर तीन किमी लंबे समानान्तर दो टनल बनाने के लिए दो सुदर्शन (टीबीएम) कार्य कर रही हैं. इसमें से जहां पहली सुदर्शन 4.1 ने अब तक 1.5 किमी टनल बोर की है, वहीं दूसरी सुदर्शन 4.2 ने भी अब तक लगभग एक किलोमीटर टनल बोर कर ली है. टनल निर्माण का कार्य पूरा होने के बाद इन दोनों सुदर्शन को बाहर निकालने के लिए रिट्रीविंग शाफ्ट न्यू अशोक नगर स्टेशन के पास बनाया गया है, जहां से कॉरिडॉर भूमिगत से एलिवेटेड हो जाता है.

देश मे पहली बार हो रहा इतने बड़ी टनल का निर्माण : टीबीएम की ओर से टनल सेगमेंट्स की मदद से भूमि के भीतर टनल के रिंग बनाए जाते हैं. टनल रिंग बनाने के लिए आम तौर पर सात (7) टनल सेगमेंट्स का उपयोग किया जाता है. एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में सुनिश्चित और गुणवत्ता नियंत्रण के साथ टनल सेगमेंट्स का निर्माण किया जा रहा है. बड़े रोलिंग स्टॉक और 180 किमी प्रति घंटे की उच्च डिजाइन गति के कारण आरआरटीएस की टनल 6.5 मी. व्यास की बनाई जा रही है. मेट्रो प्रणालियों की तुलना में देश में पहली बार इतने बड़े आकार की टनल का निर्माण किया जा रहा है.

बनाई जा रहीं दो समांतर टनल : आरआरटीएस के भूमिगत हिस्सों में ट्रेनों के आने-जाने के लिए समानान्तर अलग-अलग दो टनल बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों का भी प्रावधान भी किया गया है. किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा के लिए भूमिगत हिस्सों में लगभग हर 250 मीटर पर एक क्रॉस-पैसेज होगा. साथ ही, टनल में 60 सेमी-90 सेमी चौड़ा एक साइड वॉकवे भी होगा जो रखरखाव की गतिविधियों में सहायता करने के साथ-साथ आपातकालीन स्थिति में भी सहायता करेगा. टनल में हवा का आवागमन सुनिश्चित करने के लिए जगह-जगह वेंटिलेशन डक्ट भी बनाए जाएंगे.

मार्च 2023 में चलेगी पहली ट्रेन: प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो स्टेशन हैं. सभी स्टेशन जल्द तैयार होने वाले हैं. विश्वस्तरीय आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए प्रायोरिटी सेक्शन लगभग तैयार हो चुका है. वर्तमान में यहां स्टेशनों की रूफ शेड लगाने, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) लगाने और स्टेशनों की फिनिशिंग का कार्य प्रारम्भ हो चुका है, जबकि यहां ट्रैक बिछाने, ओएचई, सिग्नलिंग और टेलिकॉम का कार्य अंतिम चरण में है. प्रायोरिटी सेक्शन में मार्च 2023 में आरआरटीएस की पहली ट्रेन चलाने का लक्ष्य है.

कुल 25 स्टेशन: 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर 25 स्टेशन हैं और एनसीआरटीसी पूरे कॉरिडोर पर 2025 तक ट्रेनों का संचालन शुरू करने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है.

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