नई दिल्ली/गाजियाबाद:वैसे तो घर का खाना ही शुद्ध पौष्टिक और स्वाद में लाजवाब माना जाता है, लेकिन गाजियाबाद(Ghaziabad) एक ऐसा शहर है, जहां विभिन्न जनपदों और प्रदेशों के लोग रहते हैं. ऐसे में गाजियाबाद का कलचर विभिन्न तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का बन चुका है. जिसके लिए खाने के शौकीनों रेस्टोरेंट तक पहुंचते हैं. मौजूदा हालात के चलते एक ओर खाने के शौकीनों को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्वाद नसीब नहीं हो रहे, वही दूसरी तरफ रेस्टोरेंट्स संचालक भी आर्थिक रूप से बेहद संकट के दौर से गुजर रहे हैं.
ना के बराबर रह गया व्यापार
रेस्टोरेंट मैनेजर लकी ने बताया कि कोरोनावायरस के चलते रेस्टोरेंट व्यापार आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. मौजूदा समय में व्यापार ना के बराबर है. ऐसे में रेस्टोरेंट का बिजली बिल, कुकिंग स्टाफ की सैलरी आदि देने में काफी परेशानी हो रही है. रेस्टोरेंट के तमाम खर्चे अपने जेब से उठा रहे हैं. तमाम बाजार खुल चुके हैं लेकिन अभी भी रेस्टोरेंट संचालकों को Dine-In शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है. व्यापार तीस प्रतिशत ही रह गया है. सरकार को रेस्टोरेंट में Dine-In सुविधा शुरू करने की अनुमति दे देनी चाहिए. जिससे कि रेस्टोरेंट्स व्यापार वापस पटरी पर लौट सके.
Ghaziabad:आर्थिक संकट से जूझ रहे रेस्टोरेंट, सिर्फ ऑनलाइन डिलीवरी से कब तक गुजारा?
गाजियाबाद (Ghaziabad) में सोमवार से अनलॉक की शुरुआत हो गई है. अनलॉक की शुरुआत होने के बाद तमाम बाजार खुल चुके हैं, लेकिन अभी भी रेस्टोरेंट्स संचालकों (Restaurant Business) को प्रशासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक डाइन इन (Dine-In) सुविधा शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई. रेस्टोरेंट्स संचालकों को केवल होम डिलीवरी करने की अनुमति है. ऐसे में रेस्टोरेंट संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे रेस्टोरेंट.
नहीं आ रहे ऑर्डर
रेस्टोरेंट में शेफ नरेंद्र ने बताया काम काफी कम हो गया है. पहले प्रतिदिन खाने के डेढ़ सौ से 200 आर्डर होते थे, लेकिन मौजूदा समय में बमुश्किल 40 से 50 आर्डर आ रहे हैं. मौजूदा समय में केवल ऑनलाइन डिलीवरी ही चालू है रेस्टोरेंट में काम काफी कम है. ऐसे में अधिकतर स्टाफ लॉकडाउन में गांव लौट चुका है. रोजगार को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है.