नई दिल्ली/गाजियाबाद : मुश्किल वक्त इंसान को बहुत कुछ सिखाता है. कई बार लोग मुश्किलों और मुसीबतों के आगे घुटने टेक देते हैं और बिखर जाते हैं जबकि कुछ लोग कठिनाइयों को जीवन का गहना समझकर उन से लड़ते और डटकर मेहनत करते हैं और जिंदगी को बेहतर बनाते हैं. राजाराम प्रसाद की भी कुछ ऐसी ही कहानी है. उनके जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन दिल्ली में बस से हुए एक्सीडेंट ने जिंदगी को एक नए मोड पर लाकर खड़ा कर दिया.
मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले राजाराम का परिवार 1991 में गाजियाबाद आ बसा. यहां पिता की ज्वेलरी की दुकान थी. पिता के साथ ही वह जेम्स और ज्वेलरी के बिजनेस में लग गए. सबकुछ सामान्य चल रहा था. 2011 में दिल्ली से गाजियाबाद लौटते वक्त राजाराम का बस एक्सीडेंट हो गया.
एक्सीडेंट में हाथ पर बस का पहिया चढ़ गया, जिसमें उन्होंने अपना हाथ खो दिया. करीब दो महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर लौटे तो कई हफ्तों तक इसी चिंता में रहे कि कैसे जीवन आगे बढ़ेगा. परिवार के लोगों ने हौसला अफजाई की तो फिर किसी तरह अपने पारिवारिक जेम्स और ज्वेलरी के व्यापार में जुड़ गए.
नहीं टूटने दिया हौसला
राजाराम बताते हैं कि एक हाथ से काम करना मुश्किल था, लेकिन भगवान ने बहुत हिम्मत दी. भले ही एक हाथ नहीं था लेकिन मन में कुछ अलग और बड़ा करने की उम्मीद बनी रही. एक मित्र ने कहा था कि दुनिया में जो दो हाथ वाला इंसान काम नहीं कर पाया है वह काम एक हाथ वाले इंसान ने कर दिखाया है.
मित्र की इसी बात से प्रभावित होकर उन्होंने और बेहतर करने की हिम्मत जुटाई. 2014 में नोएडा स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिजनेस डेवलपमेंट से स्टोन ज्वेलरी बनाने की ट्रेनिंग की. 2014 में महालक्ष्मी इंटरनेशनल के नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई.