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'डेढ़ साल पहले विदेश में मौत के मुंह से बाहर आए थे राहत इंदौरी'

गाजियाबाद के नेहरू नगर इलाके में रहने वाले कवि कुंअर बेचैन का कहना है कि करीब 45 साल से राहत इंदौरी और उनके मधुर संबंध थे. उन्होंने बताया इंदौरी साहब की शायरी सीधे दिल में उतरती थी. शायरी सुनाते समय वह शायरी में डूब जाते थे.

poet Kunwar Bechain statement on shayar Rahat Indori death
कवि कुंअर बेचैन

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Published : Aug 12, 2020, 3:27 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : राहत इंदौरी के करीबी कवि कुंअर बेचैन ने खुलासा किया है कि करीब डेढ़ साल पहले राहत इंदौरी साहब इंग्लैंड के होटल रूम में बेहोश हो गए थे. एयरपोर्ट जाने के लिए जब बस उनका इंतजार कर रही थी. उस समय राहत इंदौरी साहब को ना देखकर सब परेशान हो गए. उस समय सभी लोग दौड़े हुए उनके होटल रूम में गए.

कवि कुंअर बेचैन

किसी तरह से दरवाजा खोल कर देखा गया तो होटल के कमरे के कोने में राहत इंदौरी साहब बेहोश पड़े हुए थे. उनका शुगर लेवल काफी नीचे चला गया था. कवि कुंअर बेचैन का कहना है कि शुगर लेवल इतना नीचे चला गया था कि तभी सब को अनहोनी की आशंका सताने लगी थी. हालांकि किसी तरह से डॉक्टरों को बुलाकर शुगर लेवल को कंट्रोल किया गया और आइसोलेशन में उन्हें भारत लाया गया. कुंअर बेचैन बताते हैं कि राहत इंदौरी साहब से उनका रिश्ता काफी पुराना था.

45 साल पुराना था रिश्ता

गाजियाबाद के नेहरू नगर इलाके में रहने वाले कवि कुंअर बेचैन का कहना है कि करीब 45 साल से राहत इंदौरी और उनके मधुर संबंध थे. उन्होंने बताया इंदौरी साहब की शायरी सीधे दिल में उतरती थी. शायरी सुनाते समय वह शायरी में डूब जाते थे. जब वह बोलते थेे तो पूरा शब्द साकार हो जाता था. उन्होंने कहा कि एक अनोखी छटा वाले शायय हमारे बीच से चले गए. मंचों से लेकर किताबों तक उन्होंने अपनी शायरी की छटा बिखेरी.

विदेश में हुई घटना ने जब झकझोर दिया

कवि कुंअर बेचैन ने बताया कि उनकी राहत इंदौरी से आखिरी मुलाकात जयपुर में हुई थी. जहां एक कवि सम्मेलन में वह मिले थे. जीवन में 200 कवि सम्मेलन में दोनों एक साथ मिले थे. उन्होंने बताया कि विदेश में हुए एक कवि सम्मेलन में एक घटना हो गई थी. वहां से एयरपोर्ट लौटने वाली जो बस थी. उसमें राहत इंदौरी साहब नजर नहीं आ रहे थे. फोन किया तो उनका फोन भी नहीं उठाया.

सभी लोग उनकी गैरमौजूदगी से परेशान हो गए, लेकिन जब उनके होटल के कमरे में जाकर देखा गया तो वह बेहोश पड़े हुए थे. उनका शुगर लेवल का बैलेंस बिगड़ गया था. बाद में डॉक्टर को बुलाया गया, जिससे उनकी तबीयत ठीक हुई और फिर सब भारत आए. बाद में जब वह गाजियाबाद के एक कवि सम्मेलन में आए थे तो राहत इंदौरी साहब ने उस वाक्य का जिक्र भी किया था. उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी साहब के जाने से एक बहुत बड़ा शून्य आ गया है.

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