नई दिल्ली/गाजियाबाद :सावन का महीना शिव भक्तों के लिए खास होता है. गाजियाबाद के मेरठ रोड पर कावड़ियों का जनसैलाब उमड़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक गाज़ियाबाद से इस साल 13 लाख कावड़ियों के गुजरने की संभावना है. मेरठ रोड पर दर्जनों की संख्या में कावड़ियों की सेवा करने के लिए शिविर लगे हुए हैं.
शिव भक्तों की सेवा के लिए लगाए गए कांवड़ शिविरों में प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित है. कांवड़ शिविरों में प्लास्टिक के सामान जैसे प्लेट चम्मच ग्लास आदि का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही शिव भक्तों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है. दरअसल जिला प्रशासन भी शिविरों में प्लास्टिक का प्रयोग न हो इस पर काफी जोर दे रहा है. ईटीवी भारत ने मेरठ रोड पर जब कई शिविरों का जायजा लिया तो लगभग सभी शिविरों में पत्तलों में कावड़िए जलपान करते हुए दिखाई दिए. इतना ही नहीं कई स्थानों पर आम लोगों द्वारा जूस, कोल्ड ड्रिंक आदि वितरित किया जा रहा था. खास बात देखने को यह मिली की कोल्ड ड्रिंक और जूस प्लास्टिक के गिलास में नहीं बल्कि पेपर क्लास में वितरित किया जा रहा था.
प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर बोले भक्त- पत्तल में ही खाऊंगा, प्लास्टिक को हाथ नहीं लगाऊंगा
इस समय सावन का महीना चल रहा है. इस महीने में सड़कों पर कांवडियों का जनसैलाब नजर आ रहा है. वहीं, शिव भक्तों की सेवा के लिए लगाए गए कांवड़ शिविरों में प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित है. शिव भक्तों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है.
आईटीआई डेंटल कॉलेज द्वारा मेरठ रोड पर शिविर लगाया गया है शिविर पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त है. कांवरियों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से जागरूक करने के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है. सेल्फी प्वाइंट पर कावड़ियों द्वारा सेल्फी क्लिक की जा रही है साथ ही कावड़ यात्रा के दौरान प्लास्टिक के बर्तनों में जलपान ना करने की शपथ ली जा रही है. कावड़ियों का कहना है कि प्लास्टिक धरती माता को बेहद नुकसान पहुंचाती है साथ ही गाय प्लास्टिक खा लेती हैं. जिससे उनका स्वास्थ्य बेहद खराब हो जाता है साथ ही उनकी मृत्यु हो जाती है. प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकना बेहद जरूरी है.
ये भी पढ़ें :सावन का दूसरा सोमवार: 800 साल पुराने गौरी शंकर मंदिर में लगा श्रद्धालुओं का तांता
प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक आपदा है और दुख की बात है कि यह मानव निर्मित है. इसका पर्यावरण, वन्य जीवन और वास्तव में मानव स्वास्थ्य पर अत्यंत हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है. यह वास्तव में पर्यावरण, वन्य जीवन और मानव जीवन की गुणवत्ता पर अत्यंत हानिकारक प्रभाव डालता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि ऐसे कदम उठाएं जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सके. समुद्र के विशाल क्षेत्रों में सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे की समस्या की भयावहता इतनी है कि ये सैकड़ों मील तक पहुंच जाते हैं. जिससे समुद्री जीव के साथ मनुष्य के जीवन को भी प्रभावित करता है.