नई दिल्ली/गाजियाबदः लॉकडाउन के तीसरे चरण में कई प्रकार की छूट दी गई है. गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए शराब के ठेकों को खोला गया है. ऐसे में ठेकों पर भारी भीड़ नजर आ रही है. कहीं भी सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो रहा है, वहीं लॉकडाउन की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बातचीत की.
लॉकडाउन में शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर लोगों की राय आम आदमी पार्टी प्रवक्ता (AAP) तरुणिमा श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन में सरकार द्वारा शराब के ठेके खोलने का निर्णय बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. शराब के ठेके खुलने के बाद इस महामारी के फैलने का खतरा और बढ़ जाएगा. लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के कई मामले सामने आए हैं. शराब के ठेके खुलने के बाद घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि हो सकती है.
राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित देश की पहली महिला एंबुलेंस चालक ट्विंकल कालिया ने कहा कि लॉकडाउन में शराब के ठेके खोलकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. लोगों ने साबित कर दिया है कि वह शराब के बिना रह सकते हैं, लेकिन सरकारों ने साबित कर दिया है कि वह शराब बेचे बिना नहीं रह सकती.
समाजसेवी दिनेश पांडे ने कहा कि लॉकडाउन में सरकार द्वारा ठेके खोलने का निर्णय पूरी तरह से गलत है. जनता को समझना होगा कि शराब के पीछे ना भागे और शराब से ज्यादा महत्व अपने जीवन को दें. हमारा कर्तव्य फाउंडेशन की सदस्य हेमा ने कहा कि सरकार द्वारा ठेके खोलने का फैसला गलत है, क्योंकि ठेके खुलने से सोशल डिस्टनसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
'हमारा कर्तव्य फाउंडेशन' की सदस्य निशु मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन में ठेके खोलने का निर्णय देश के लिए बहुत हानिकारक होगा. उन्होंने कहा कि ठेकों पर सोशल डिस्टेंसिंग खत्म होती नजर आई. जिससे देश को बहुत ही नुकसान हो सकता है. कोरोना के केस भी बढ़ सकते हैं.