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गाजियाबाद: बूंद-बूंद को तरसा खोड़ा, लोग प्राइवेट टैंकर से चला रहे काम, खरीद कर पीना पड़ता है पानी - खोड़ा में लगातार गिर रहा जलस्तर

गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी में लंबे समय से लोग पानी की समस्या से जूझ (water crisis in Khoda Ghaziabad) रहे हैं. यहां लोगों को पीने के लिए तो पानी खरीदना ही पड़ता है, साथ ही रोजमर्रा के काम के लिए भी टैकरों से पानी खरीद कर ही मंगवाना पड़ता है. इलाके में भूजल स्तर 500 फीट तक गिर चुका है. पानी की किल्लत के चलते अब लोगों को यहां रहने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

water crisis in Khoda Ghaziabad
water crisis in Khoda Ghaziabad

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Published : Oct 18, 2022, 3:15 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 4:21 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी इलाके में लंबे समय से लोग पानी की समस्या से जूझ (water crisis in Khoda Ghaziabad) रहे हैं. आलम यह है कि लोगों को अपनी पानी की टंकी पैसे देकर टैंकरों के माध्यम से भरवानी पड़ती है. इतना ही नहीं पीने का पानी भी खरीद कर पीना पड़ता है. इलाके में भूजल स्तर 500 फीट तक गिर (groundwater level of area dropped by 500 feet) चुका है. इलाके के लोगों का कहना है की पानी की समस्या के कारण यहां रहना बेहद मुश्किल हो रहा है. चुनाव से पहले नेता वोट मांगने आते हैं और पानी की समस्या का समाधान करने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद हालात बदल जाते हैं.

यहां के लोगों ने बताया कि इलाके में पानी के हालात बहुत खराब हैं. जैसे तैसे काम चला रहे हैं. पानी ना होने से काफी परेशानी हो रही है. पड़ोसियों से पानी लेकर काम चलाना पड़ रहा है. यहां 500 फीट का बोरिंग है. उसी से काम चला रहे हैं. पड़ोसी से घर से अपने घर तक पानी का पाईप डाल रखा है. पड़ोसी से महीना बांध रखा है. हर महीने 500 रुपये देते है. उनका कहना है कि क्षेत्र में सरकारी पाईप लाईन नहीं है. खोड़ा के लोगों का कहना है कि वे नगर पालिका अध्यक्ष रीना भाटी के समक्ष भी समस्या रख चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.

गाजियाबाद के खोड़ा में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग

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सरकार से लगाई गुहार:क्षेत्रवासीकरीब 22 साल से किल्लत से जूझ रहे हैं. पानी खरीद कर काम चला रहे हैं. यहां रहने वाले धर्मनाथ का कहना है कि जो लोग सक्षम है वह बोरिंग करवा रहे हैं. बोरिंग करवाने में तकरीबन पांच लाख रुपये का खर्च आता है. 500 फीट पर बोरिंग होता है. दस-ग्यारह सक्षम लोग मिलकर बोरिंग करवाते हैं. हम लोग बोरिंग नहीं करवा सकते हैं. उन्होंने बताया कि पानी की किल्लत के चलते अब इस इलाके में रहना मुश्किल हो रहा है. कोई सुनने वाला नहीं है.

लगातार गिर रहा जलस्तर: वहीं यहां रहने वाले दीपक का कहना है कि 20 साल पहले यहां पर 20 फीट पर पानी था लेकिन मौजूदा समय में पानी का लेवल 500 फीट नीचे गिर (Water level falling continuously in Khoda) गया है. भूजल स्तर गिरने के चलते, जिन लोगों के घर 200-300 फीट तक बोरिंग हुई थी वो अब फेल हो गई है. दीपक ने बताया कि पानी समस्या को लेकर सभासद, खोड़ा नगर पालिका अध्यक्ष, क्षेत्रीय विधायक, क्षेत्रीय सांसद, मुख्यमंत्री कार्यालय, यहां तक की प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय में ज्ञापन दिया गया लेकिन इस समाधान नहीं हुआ और ना ही इस ओर किसी का ध्यान जा रहा है.

खोड़ा रेजिडेंट एसोसिएशन का नगर पालिका परिषद को ज्ञापन

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बोरिंग हो रहे फेल: वहीं खोड़ा कॉलोनी में रहने वाली सलमा ने बताया कि रोज़ पानी खरीदकर गुज़ारा करना पड़ रहा है. दो-तीन सौ रुपये में 500 लीटर की पानी की टंकी भर्ती है. घर में बोरिंग मौजूद था लेकिन इलाके के जलस्तर गिरने से महीने भर पहले बोरिंग खराब हो गया. करीब पांच साल पहले बोरिंग कराया था. 200 फ़ीट पर बोरिंग हुआ था. लेकिन अब बोरिंग खराब हो गया है.

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाई समस्या:खोड़ा रेजिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि कॉलोनी के लोग ग्राउंड वॉटर पर निर्भर हैं. उन्होंने बताया कि एसोसिएशन बीते कुछ सालों से पानी की समस्या को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रही है, लेकिन सभासद से लेकर राष्ट्रपति कार्यलय तक कोई भी सुनने को तैयार नहीं है. इलाके में लोग प्राइवेट टैंकर, पानी के प्लांट आदि के माध्यम से पानी खरीद रहे हैं, जो काफी महंगा पड़ रहा है. टैंकर के माध्यम से 500 लीटर के वॉटर टैंक को भरवाने में तकरीबन 200 से 250 रुपये का खर्च आता है. 20 लीटर पानी तकरीबन 10 रुपये में मिलता है. खोड़ा रेसिडेंट एसोसिएशन लगातार शासन-प्रशासन से मांग कर रही है कि खोड़ा में गंगाजल वॉटर सप्लाई उपलब्ध कराई जाए.

खोड़ा रेजिडेंट एसोसिएशन का मुख्यमंत्री को ज्ञापन

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2023 दिसंबर तक पहुंचेगा पानी: वहीं खोड़ा कॉलोनी की समस्या को लेकर जब ईटीवी भारत ने साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि जनता को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए काम कर रहे हैं. ये एक दिन में हल होने वाला काम नहीं है. काम शुरू हो चुका है, चल रहा है. अभी खोड़ा कॉलोनी में पानी की टेस्टिंग कराई जा रही है. खोड़ा कॉलोनी के कुछ इलाक़ों में ट्यूबवेल, कुछ इलाक़ों में गंगाजल वाटर मुहैया कराया जाएगा. खोड़ा कॉलोनी की पानी की समस्या का समाधान होने में समय लगेगा, क्योंकि खोड़ा कॉलोनी में जमीन में पानी काफी नीचे है.

उन्होंने आगे कहा कि सपा के शासन में भूमाफियाओं ने खोड़ा कॉलोनी की काफी ज़मीन बेच खाई है. ट्यूबवेल लगाने, पानी के टंकी खड़ा करने, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. नोएडा ऑथोरिटी से ज़मीन खरीदने की प्रिक्रिया शुरू की गई है. जमीन खरीदने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. दिसम्बर 2023 तक खोड़ा में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. फिलहाल खोड़ा कॉलोनी में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए जल्द टैंकरों के इंतजाम करने जा रहे हैं. वहीं, इस संबंध में कई बार खोड़ा नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

खोड़ा रेजिडेंट एसोसिएशन का प्रधानमंत्री को ज्ञापन

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वहीं बात अगर राजधानी दिल्ली की करें तो दिल्ली की जनसंख्या घनत्व 30 हजार प्रति वर्ग मील है. अनुमान है कि 2028 तक 3.7 करोड़ की आबादी के साथ यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर बन जाएगा. इस बढ़ती आबादी के लिए कहीं हद तक शहर की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था जिम्मेवार है, जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. ऐसे में बढ़ती आबादी के साथ जरूरतें भी बढ़ती जाएंगी.

अनुमान है कि आने वाले समय में दिल्ली एनसीआर को पानी की भारी मांग और किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. यदि 2017 में आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो लगभग 6.25 लाख घर करीब 18 फीसदी पाइप वाटर से वंचित थे. जो कहीं न कहीं अपनी जल सम्बन्धी जरूरतों के लिए भूजल या निजी टैंकरों पर निर्भर थे. पानी की मांग और आपूर्ति का यह अंतर 75 करोड़ लीटर प्रतिदिन से ज्यादा है. यही वजह है कि इस खाई को पाटने के लिए भविष्य के परिणामों की चिंता किए बिना भूजल का बड़ी तेजी से दोहन किया जा रहा है. हालत यह है कि दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में कई स्थानों पर भूजल का स्तर जमीन से 80 मीटर नीचे पहुंच गया है और यह 3 से 4 मीटर प्रति वर्ष की दर से और नीचे जा रहा है.

खोड़ा रेजिडेंट एसोसिएशन का राष्ट्रपति को ज्ञापन

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हालांकि इससे बचने के लिए सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी ने दिसंबर 2018 में वाटर कन्ज़र्वेशन फीस लगाई थी. लेकिन इसमें केवल औद्योगिक और घरेलु उपयोग के लिए भूजल निष्कर्षण को शामिल किया गया था, जबकि व्यक्तिगत उपयोग और कृषि सम्बन्धी दोहन को इससे मुक्त रखा गया था. इसके साथ ही भूजल को लेकर जो ज्यादातर नीतियां बनाई गई हैं उनमें दिल्ली एनसीआर में केवल पानी की समस्या को कम करने के लिए ध्यान दिया गया है, जबकि इनमें भूमि धंसने जैसी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया है.

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Last Updated : Oct 18, 2022, 4:21 PM IST

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