गाजियाबाद : मुरादनगर में स्थित एक निजी अस्पताल के बाहर हंगामा कर रहे लोगों का कहना है कि नर्स के हाथों से गिरने से नवजात बच्चे की मौत हुई है. तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी के दौरान पैदा हुए बच्चे में सांस नहीं थी.
अस्पताल के बाहर हंगामा
गुरुवार को मुरादनगर के बस स्टैंड पर स्थित एक निजी अस्पताल के बाहर कुछ लोगों ने जमकर हंगामा किया. उनका आरोप है कि पीड़ित महिला के बच्चा पैदा होने के बाद वह नर्स के हाथों से फिसल कर गिर गया. जिसकी वजह से नवजात बच्चे की मौत हुई है. वही दुसरी ओर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्चे के पैदा होने के बाद उसमें सांस नहीं थी. नर्स के हाथों से बच्चे के गिरने का आरोप गलत है. फिलहाल मौके पर पहुंची पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है.
नवजात बच्चे की मौत पर हंगामा. नर्स के हाथों से गिर गया बच्चा
मुरादनगर की चर्च कॉलोनी निवासी पीड़िता चंचल ने बताया कि वह बस स्टैंड पर स्थित निजी अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई हुई थी. लेकिन उसके इलाज में लापरवाही बरती गई है. क्योंकि 2 मार्च दोपहर को बच्चा पैदा होने के बाद उसको ना ही बच्चे के बारे में कोई जानकारी दी गई और ना ही बच्चे को उनको सौंपा गया. लेकिन 4 मार्च को अस्पताल प्रशासन ने बताया कि उसके बच्चे की मौत हो गई है. उनका आरोप है कि इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही की है. इसीलिए बच्चे की मौत हुई है.
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अस्पताल प्रशासन ने बच्चे को नहीं सौंपा
पीड़िता के ससुर का कहना है कि उनकी बहू को जब बच्चा पैदा हुआ तो वह नर्स के हाथों से छूट गया और उनको बच्चे को दिखाया भी नहीं गया. अस्पताल प्रशासन आनन-फानन में मोदीनगर दूसरे अस्पताल में वेंटिलेटर के लिए लेकर गया, लेकिन वहां से वापस लाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने हमको बताया कि बच्चे की मौत हो गई है.
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नॉर्मल डिलीवरी का बनाया दबाव
इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने निजी अस्पताल के मालिक से बातचीत की तो वह कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते रहे. हालांकि उनका कहना है कि यह पूरा मामला नॉर्मल और ऑपरेशन से डिलीवरी को लेकर है. अस्पताल प्रशासन पहले ही साफ कर चुका था कि बिना ऑपरेशन के यह डिलीवरी संभव नहीं है. इसके बावजूद परिजनों ने नॉर्मल डिलीवरी का अस्पताल पर दबाव बनाया है. इसकी वजह से डिलीवरी के समय बच्चे की सांस रुकने से मौत हुई है.