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गाजियाबाद में पांच गायों में मिले Lumpy Skin Disease के लक्षण, IVRI भेजे गए सैंपल - लंपी स्किन वायरस के लक्षण

देशभर में लंपी स्किन वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी पांच गायों में लंपी के लक्षण मिले हैं. इसके बाद जिले का पशुपालन विभाग अलर्ट हो गया है. फिलहाल गायों के सैंपल लेकर जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था बरेली भेजा जा रहा है.

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गाजियाबाद में गायों में मिले लंपी

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Published : Aug 23, 2022, 3:58 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लंपी स्किन वायरस (Lumpy Skin Disease) ने दस्तक दे दी है. अलीगढ़ के बाद अब गाजियाबाद में पांच गायों में लंपी बीमारी के लक्षण देखने को मिला है. पांच गायों में लंपी के लक्षण (Lumpy Symptoms Found in Cows) मिलने के बाद पशुपालन विभाग अलर्ट हो गया है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश कुमार ने बताया कि रजापुर ब्लॉक के नंदग्राम इलाके में पांच गायों में लंपी के लक्षण देखने को मिले हैं. इसके बाद गायों के सैंपल लेकर जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था (Indian Veterinary Research Institute) बरेली भेजा जा रहा है. जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ हो पाएगी.



डॉ. महेश कुमार ने बताया कि गायों में लंपी के लक्षण मिलने के बाद गायों को आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है. मच्छरों के माध्यम से लंपी का वायरस फैलता है. ऐसे में आसपास फॉगिंग कराई गई है. ताकि वायरस और न फैले. जिले में लंपी से बचाव और रोकथाम के लिए चार रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है. रैपिड रिस्पांस टीम डोर टू डोर जाकर निगरानी कर रही है. साथ ही पशुपालकों को जागरूक भी कर रही है. टीम ने पशुपालकों को पशुओं को साफ स्थान पर रखने की हिदायत दी है. अभी तक जिले में लंपी के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है.

लंपी से गौवंश को खतरा

लंपी स्किन बीमारी मुख्य रूप से गौवंश को प्रभावित करती है. इस बीमारी से पशुओं में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत है. रोग के प्रसार का मुख्य कारण मच्छर, मक्खी और परजीवी जैसे जीव हैं. इसके अतिरिक्त इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशु के नाक से स्राव, दूषित फीड और पानी से भी हो सकता है.

लंपी का उपचार एवं रोकथाम

वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.

लंपी के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण बुखार तेज हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है. इस स्थिति में जब पशु बीमार होगा तो वह खाना भी कम कर देता है. इससे अन्य समस्या भी पशु में बढ़ सकती है. इसके प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है, साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती है. कुछ मामलों में यह बीमारी नर व मादा पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है.


कहां से आई लंपी

लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है. हालांकि, हाल में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं.

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