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नवरात्रिः संकल्प का नाम है व्रत, इन चीजों का सेवन करने से सफल हाेगी आराधना

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती हैं. नवरात्र के दौरान भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए आराधना में लीन रहते हैं और व्रत रखते हैं. भूल चूक में नवरात्रि के दौरान भक्त कई चीजों का गलती से सेवन कर लेते हैं, जिससे व्रत निष्फल हो जाता है.

नवरात्रिः संकल्प का नाम
नवरात्रिः संकल्प का नाम

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Published : Oct 6, 2021, 9:50 PM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में नाै दिनों तक व्रत रखने से मन, तन और आत्मा शुद्ध होती है. इन दिनों में व्रत रखकर मां दुर्गा के नाै रूपाें की पूजा करने से विशेष फल मिलता है, लेकिन नाै दिनाें तक व्रत रखने से कमजाेरी भी आ सकती है. आप बीमार भी पड़ सकते हैं या फिर जाने-अनजाने में ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं, जिससे व्रत निष्फल हो जाता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि व्रती खान-पान का विशेष ध्यान रखें.

गाजियाबाद की शास्त्री नगर स्थित श्री वेदव्यास वेद विद्यापीठ के प्रधानाचार्य आचार्य योगेश दत्त गौड़ के मुताबिक, व्रत का तात्पर्य संकल्प से है. नवरात्र के नाै दिनों के दौरान शरीर को स्वच्छ रखना है. व्रत रखने से मनुष्य के शरीर का शोधन होता है और शरीर ऊर्जावान बनता है. व्रत रखने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.

० सेंधा नमक का करें प्रयोग

व्रत के दौरान लाल मिर्च, लहसुन और प्याज़ का सेवन नहीं करना चाहिए. आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने से भी बचना चाहिए. व्रत के दौरान सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं. सेंधा नमक आयोडीन युक्त नमक के मुकाबले काफी शुद्ध होता है.

० देसी घी और मूंगफली के तेल से करें भोजन तैयार

सरसों और तिल के तेल का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए. बेहतर होगा इसके स्थान पर मूंगफली के तेल और देसी घी से व्रत का भोजन तैयार करें.

० फलों का करें सेवन

नवरात्र के उपवास के दौरान फलों का सेवन करना चाहिए. फलों का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा रहती है और पाचन क्रिया में भी काफी सुधार आ जाता है. केला, अंगूर, संतरा, पपीता, खरबूजा हर तरह के फल व्रत में खाए जा सकते हैं.

० मास, अंडे आदि का न करें सेवन

व्रत में तामसी प्रवृति के खान-पान से बचना चाहिए. व्रत के दौरान मांस, अंडे, गर्म मसाले, आदि का प्रयोग नहीं करना है. प्याज और लहसुन खाना भी वर्जित है. व्रत में तामसी प्रवृति के खान-पान से ध्यान भटकता है.

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आचार्य योगेश दत्त गौड़ बताते हैं कि व्रत के दौरान अगर खानपान का विशेष ध्यान नहीं रखा गया तो व्रत निष्फल तक हो सकता है. उन्होंने बताया पुराणों में एक कथा है, जिसमें विश्वामित्र ने 1000 वर्ष तपस्या की. तपस्या करने के बाद जैसे ही विश्वामित्र उठे, उनमें बहुत अच्छी शक्तियां आ गयीं, लेकिन किसी बात को लेकर उनमें क्रोध आ गया. क्रोध आने से एक हजार वर्ष की तपस्या विफल हो गयी. इसीलिए व्रत के दौरान तामसी प्रवृति के भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.

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आचार्य बताते हैं, जब शरीर में शुद्ध भोजन पहुंचेगा तो व्रत के दौरान आराधना में मन लगेगा. भक्त भक्ति में लीन हो पाएंगे. मनुष्य को संसार में जन्म अच्छे कार्य, परमात्मा की प्रार्थना, भजन पूजन आदि करने के लिए मिलता है.

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