दिल्ली

delhi

ETV Bharat / city

कारगिल विजय दिवस: डॉ. मेजर प्राची गर्ग से सुनिए कारगिल युद्ध की दास्तान

गाजियाबाद के अशोक नगर की रहने वाली डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कारगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. 2003 में वो सेना से रिटायर हो गईं. कारगिल विजय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भारतीय थल सेना में मेडिकल अफसर रहीं डॉ. मेजर प्राची गर्ग से खास बातचीत की. डॉ. मेजर प्राची गर्ग बताया कि जब उन्होंने सेना ज्वाइन की थी तो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें किसी युद्ध का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा. पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट..

Hear the story of Kargil war from Major Dr. Prachi Garg Indian Army Medical Officer kargil vijay divas
कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध मेजर डॉ. प्राची गर्ग भारतीय आर्मी

By

Published : Jul 26, 2020, 3:23 AM IST

Updated : Jul 26, 2020, 9:05 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. ये भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी. हालांकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वस्त करते हुए उसे पीछे खदेड़ दिया था.

'युद्ध का हिस्सा बनूंगी कभी नहीं सोचा था'


'युद्ध का हिस्सा बनूंगी कभी नहीं सोचा था'

गाजियाबाद के अशोक नगर की रहने वाली डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कारगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. कारगिल विजय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भारतीय थल सेना में मेडिकल अफसर रहीं डॉ. मेजर प्राची गर्ग से खास बातचीत की.

डॉ. मेजर प्राची गर्ग

डॉ. मेजर प्राची गर्ग बताया कि जब उन्होंने सेना ज्वाइन की थी तो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें किसी युद्ध का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा. डॉ. मेजर प्राची गर्ग बताती हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान वो आठवीं माउंटेन आर्टिलरी ब्रिगेड के साथ द्रास सेक्टर में मौजूद थीं.

'200 से अधिक घायल सैनिकों का किया था इलाज'

युद्धक्षेत्र में उन्होंने करीब तीन महीने बतौर मेडिकल अफसर देश के जांबाज सैनिकों का इलाज किया. ब्रिगेड में वो एकमात्र महिला मेडिकल अफसर थी. जिन्होंने युद्ध में करीब 200 से अधिक घायल सैनिकों का इलाज किया था.


डॉ. गर्ग ने बताया कि उन्होंने युद्ध के दौरान जिन जांबाज जवानों का इलाज किया, उनमें से कई सैनिक तो गंभीर रूप से घायल होते थे. उनको एंबुलेंस में डालकर लाया जाता था, जबकि कुछ के हल्की-फुल्की चोटें होती थी. लेकिन उन्होंने कई शहीद सैनिकों के शव ऐसे भी देखे जिनके सर धड़ से अलग होते थे. उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें कई प्रकार नई चीजें देखने को मिली, जिन्हें देखकर मन में सीखने की ललक उठती थी. युद्धक्षेत्र में मेजर प्रसून से उन्होंने फायर कमांड सीखा था.

'1000 से ज्यादा कोरोना मरीजों का किया इलाज'

डॉ. गर्ग ने बताया कि 2003 में वो सेना से रिटायर हो गईं. अब वो डॉ. केके अग्रवाल के साथ हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया में बतौर डॉक्टर काम कर रही हैं. कारगिल युद्ध ये दौरान सेना में उन्होंने जो अनुशासन सीखा था वो उनके जीवन मे बहुत काम आ रहा है. कोरोना कॉल के दौरान वो कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रही हैं. अब तक उनके द्वारा करीब 1000 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा चुका है.


साल 2016 में उनको इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अमृतसर में आईएमए के डॉक्टर ए पी शुक्ला मेमोरियल सर्विस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें ग्रेट अचीवर अवार्ड, नारी गौरव सम्मान और आराधना सम्मान समेत कई अवार्ड मिले हैं. साल 2018 में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा उन्हें 'नो प्लास्टिक कैंपेन' का ग्रीन एंबेसडर बनाया जा चुका है.

Last Updated : Jul 26, 2020, 9:05 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details