नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इस बार मुकाबला कड़ा हो गया है. गठबंधन ने सुरेंद्र कुमार मुन्नी की जगह सुरेश बंसल को अपना प्रत्याशी बताया है. इस सीट पर बीजेपी ने जनरल वीके सिंह को दोबारा टिकट दी है. इसको लेकर बीजेपी, कांग्रेस और गठबंधन के प्रत्याशियों से हमने लोकसभा सीट के मुकाबले पर अलग-अलग बात की.
इससे हमने समझने का प्रयास किया कि तीनों की अलग अलग राय क्या है. वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं. एक तरफ जहां बीजेपी प्रत्याशी वीके सिंह को बाकी दोनों कैंडिडेट बाहरी बता रहे हैं, तो वीके सिंह ने उनको दो टूक जवाब भी दिया है.
गाजियाबाद में कांग्रेस ने हाल ही में ब्राह्मण कार्ड खेला. इसके तहत डॉली शर्मा को कैंडिडेट के रूप में उतार दिया गया. जाहिर है इसके बाद समीकरण बिगड़ गए. ऐसे में सुरेंद्र कुमार मुन्नी को हटाकर सपा बसपा महा गठबंधन ने सुरेश बंसल को मैदान में लाकर खड़ा कर दिया.
इससे माना जा रहा है कि व्यापारी और बनिया वर्ग का वोट महागठबंधन के खाते में जा सकता है. एक तरफ गाजियाबाद की पांचों विधानसभा सीट पर बीजेपी काबिज़ है. और दूसरी तरफ इस समय सेना के प्रति देश का रुख काफी ज्यादा है. ऐसे में पूर्व जनरल वीके सिंह पर दांव खेलना बीजेपी के लिए फायदे का सौदा था. लिहाजा उन्हें दोबारा से टिकट दी गई.
साथ ही धौलाना के पास करीब 60 गांव ऐसे हैं जो ठाकुर बाहुल्य गांव है. और वीके सिंह खुद ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, तो उसका फायदा भी देहात में वीके सिंह को मिल सकता है. शहरी विधानसभा की बात करें तो यहां पढ़ा लिखा समाज रहता है, जो सोच समझकर वोट करेगा. और उस पर भी काफी कुछ डिपेंड करेगा.