नई दिल्ली/गाजियाबादः सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानून को लेकर किसानों में अलग-अलग पक्ष दिखाई दे रहे हैं. कुछ किसानों का कहना है कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है. जिसको लेकर किसान काफी लंबे समय से दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर विरोध कर रहे हैं.
नए कृषि कानून को लेकर दोहरी नीति का आरोप वहीं दूसरी ओर कुछ किसानों का कहना है कि कृषि कानून से किसानों का फायदा होगा. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम मुरादनगर की मशहूर गुड़ मंडी में पहुंची. जहां पर गुड़ का व्यापार करने वाले किसानों से बातचीत करके नए कृषि कानून के बारे में उनकी राय जानने की कोशिश की.
ईटीवी भारत को मुरादनगर की मशहूर गुड मंडी में सन 1985 से गुड़ का व्यापार कर रहे किसान दिनेश शर्मा ने बताया कि वर्तमान में सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून में सरकार ने बहुत बड़ी चूक छोड़ी हुई है. जिसमें अगर गुड़ व्यापारी मंडी में गुड़ बेचने के लिए लाता है तो उसको मंडी शुल्क देना होगा. जोकि अब से पहले 25 रूपये मन (40 किलो) लगता था और आज भी 16 रुपये मन लगता है. गुड़ पर लगने वाला मंडी शुल्क 1:30 प्रतिशत होता है.
नए कृषि कानून में सबसे बड़ी चूक
दिनेश शर्मा का कहना है कि नए कृषि कानून में सरकार की यह बड़ी खामी है. जिसकी वजह से अब गुड़ की मंडी भी विरान पड़ी रहने लगी है. इसीलिए सरकार को मंडी शुल्क के बारे में सोचना चाहिए. जबकि वहीं दूसरी और नए कृषि कानून से पहले मंडी के बाहर और अंदर समान शुल्क लगता था. इसीलिए सरकार नए कृषि कानून में दोहरी नीति अपना रही है.