नई दिल्ली/गाजियाबाद :हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे, जहां उन्होंने किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से मुलाकात की. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत के साथ कई किसान नेता मौजूद रहे.
चौटाला ने कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत और मेरे पिता के बहुत अच्छे संबंध थे. राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक संबंध थे. हर दुख सुख में वो हमारे परिवार के साथ शामिल रहे. मेरे पिता के देहांत के बाद राज्यसभा की सीट खाली हुई थी. जब बाबू महेंद्र सिंह टिकैत से गुजारिश की गई कि वो राज्यसभा जाएं तब बाबा टिकैत ने कहा था कि मेरा मकसद पद हासिल करना नहीं है.
गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे ओपी चौटाला
भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा शासन से देश का हर नागरिक परेशान है. बदकिस्मती से ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता गई है. जिनकी जनहित कार्य में कोई रुचि नहीं है. सत्ता का केवल एक सूत्रीय कार्यक्रम है कि देश को लूटा जाए. कुछ ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं. जिससे कि योजनाबद्ध तरीके से देश का सारा पैसा कुछ मुट्ठी भर उद्योग घरानों के हाथों में चला जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 22 जुलाई को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा पूरे देश की सोच है कि संसद सत्र के दौरान तमाम सांसदों को मजबूर किया जाए कि जो केंद्र सरकार द्वारा तीन काले कानून बनाए गए हैं उनको वापस लिया जाए.
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किसान आंदोलन के आने वाले समय में क्या कुछ परिणाम निकलेंगे यह भविष्य के गर्भ में है. किसान आंदोलन से देश में जात पात का अंतर खत्म हुआ है.बता दें कि इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और जेबीटी भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा काटकर रिहा हुए ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) किसान आंदोलन (Farmers Protest) में बढ़-चढ़कर भाग लेने की बात कह रहे थे. ओपी चौटाला और इनेलो की ओर से कहा गया था कि स्वस्थ होते ही ओपी चौटाला किसानों के बीच जाएंगे और किसानों की लड़ाई लड़ेंगे. इसी कड़ी में चौटाला आज गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे.
हालांकि जब चौटाला ने किसान आंदोलन में शामिल होने की बात कही थी तब सोनीपत में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा था कि ओपी चौटाला किसानों का समर्थन करना चाहते हैं तो जरूर करें, लेकिन उनके साथ मंच साझा नहीं किया जाएगा. राजेवाल ने स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी सियासतदां को वह अपने मंच को साझा नहीं करने देंगे.
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इसके अलावा किसान आंदोलन की बात करें तो कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 8 महीने से जारी है. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान नेता अब भी अपनी मांग पर अड़े हैं. इसके अलावा किसान नेता मानसून सत्र में संसद कूच करने पर भी विचार कर रहे हैं, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच बातचीत दो बार बेनताजी रही है.