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कोरोना साइड इफेक्ट: ईद-उल-अजहा पर भी नहीं बिक रहे बकरे, 75 फीसदी गिरा कोरोबार! - गाजियाबाद कैला भट्टा

कोरोना वायरस से तमाम व्यापार प्रभावित हुए हैं. हालांकि अनलॉक और त्यौहारों में तमाम छूट मिलने के बाद भी व्यापार पटरी पर नहीं लौट पाए हैं.

Bakr Eid in ghaziabad
गाजियाबाद कैला भट्टा

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Published : Jul 27, 2020, 8:03 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोनावायरस ने तमाम त्यौहारों की रौनक छीन ली है. होली को बेरंग और ईद को फीका करने के बाद अब ईद-उल-अजहा की रौनक भी कोरोना वायरस ने छीन ली है. ईद-उल-अजहा से पहले बकरा व्यापारी अच्छी खासी आमदनी कर लिया करते थे, लेकिन इस बार व्यापार कोरोना के चलते चौपट है.

ईद-उल-अजहा के त्यौहार में चंद दिन बाकी हैं. हर साल ईद से पहले जहां एक तरफ शहर के प्रमुख बाजारों में लोग त्यौहार की खरीदारी करते थे तो वहीं दूसरी तरफ बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए भी बड़े-बड़े बाजार लगते थे, लेकिन इस बार सब कुछ कोरोना वायरस के चलते ठंडा पड़ा है.

सुनें क्या कह रहे बकरा व्यापारी
हर साल गाजियाबाद के कैला भट्टा क्षेत्र में पीएसी चौक पर बकरों की बड़ी मंडी लगती थी. ईद-उल-अजहा से पहले इस मंडी में हजारों की संख्या में खरीदार पहुंचते थे और आसपास के गांवों से व्यापारी बकरे बेचने आते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते पीएसी चौक पर बकरों की मंडी नहीं लगी है, जबकि इलाके की गलियों में व्यापारी बकरे बेचते नजर आ रहे हैं.

30 बकरों में से बिके 6

इस साल ईद-उल-अजहा से पहले बकरों का व्यापार कैसा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ बकरा व्यापारियों से बातचीत की. बकरा व्यापारी हनीफ ने बताया कि कोरोना के चलते व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ हुआ है. उन्होंने बताया कि ईद-उल-अजहा के लिए वह 30 बकरे बेचने के लिए लेकर आए थे, लेकिन बमुश्किल 6 बकरे बिक पाए हैं. हर वर्ष करीब दो से ढाई लाख रुपए का बकरों का ईद पर व्यापार होता था, लेकिन इस बार व्यापार चौपट पड़ा है.

25 फीसदी ही रह गया कोरोबार

बकरा व्यापारी राशिद ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से बकरों का व्यापार कर रहे हैं लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते बाजार में बहुत मंदी है. महामारी के चलते ईद-उल-अजहा से पहले बकरों का व्यापार मात्र 25 फीसदी ही रह गया है. ऐसे में व्यापारियों को चिंता सता रही है कि इस बार कहीं व्यापार में उन्हें नुकसान ना झेलना पड़े.

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