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गाजियाबाद वेब सिटी: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - high court

गाजियाबाद वेव सिटी के अधूरे विकास कार्यों को लेकर एक याचिका दायर की गई. इसका संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कि कंपनी को पुलिस सहायता क्यों नहीं दी जा रही है.

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गाजियाबाद वेब सिटी: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Published : Feb 12, 2021, 12:00 AM IST

नई दिल्ली/प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि गाजियाबाद वेव सिटी के अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने के लिए याची कंपनी को पुलिस सहायता क्यों नहीं दे रही है. इसकी सुनवाई 18 फरवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एनए मुनीस और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने उप्पल चड्ढा हाईटेक डेवलपर प्रा. लि. कंपनी की याचिका पर दिया.

याची कंपनी का कहना है कि वेब सिटी बन कर तैयार है. केवल 10 फीसदी विकास कार्य बाकी है. भू-माफिया और असामाजिक तत्वों के विकास कार्यों में रोड़ा अटकाने के कारण काम में देरी हो रही है. कार्य को पूरा करने के लिए कंपनी को पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है. राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता ने जिलाधिकारी और एसएसपी की रिपोर्ट पेश की. इसे कोर्ट ने संतोषजनक नहीं माना. हाईकोर्ट ने कहा कि क्या कारण है, जिससे कंपनी को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जा रही है.

याची का कहना है कि प्रदेश सरकार की हाईटेक सिटी योजना के तहत गाजियाबाद में बन रही वेव सिटी के लिए अधिगृहीत जमीन पर विकास कार्य कंपनी और जीडीए द्वारा किया जाना है. कुछ अराजकतत्व इस कार्य में व्यवधान डाल रहे हैं. जिला प्रशासन से सहायता मांगी गई है, किन्तु कोई सहायता नहीं मिल रही है. याचिका में राज्य सरकार और अन्य प्राधिकारियों को याची को विकास कार्य की अनुमति देने व इसमें सहयोग देने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

वर्ष 2003 में राज्य सरकार ने निजी डेवलपर्स की भागीदारी से राज्य के प्रमुख शहरों से सटे क्षेत्र में हाईटेक टाउनशिप विकसित करने के लिए एक नीति तैयार की. इस नीति के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने याची कंपनी का चयन किया और गाजियाबाद में हाईटेक टाउनशिप के विकास के लिए 'वेव सिटी, गाजियाबाद' के नाम से करीब 4500 एकड़ जमीन अधिगृहीत की. स्थानीय असामाजिक तत्व विकास कार्य में लगातार बाधा पैदा कर रहे हैं. शिकायत दर्ज होने के बावजूद, इन असामाजिक तत्वों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई. कोर्ट ने जिलाधिकारी और एसएसपी से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन ऐसा कोई उचित कारण नहीं बताया गया कि पुलिस सुरक्षा क्यों नहीं दी जा सकती है.

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