नई दिल्ली/गाजियाबादः जिले में बढ़ती हुई प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के चलते कुछ पेरेंट्स ने प्राइवेट स्कूलों को करारा जवाब दिया है. कुछ आंकड़े सामने आए हैं. इसमें पता चला है कि अधिकतर पेरेंट्स बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलवा रहे हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि बच्चों के पेरेंट्स पर इस समय आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ा है, जिसके चलते सरकारी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है.
बीते सालों के मुकाबले सरकार ने भी सरकारी स्कूलों की व्यवस्था के सुधार में काफी ठोस कदम उठाए हैं. फिलहाल ऑनलाइन क्लास चल रही है. सरकारी स्कूल भी ऑनलाइन क्लास देने में किसी प्राइवेट स्कूल से पीछे नजर नहीं आ रहे हैं. सरकारी स्कूलों में फीस के नाम पर सिर्फ नाम मात्र रकम देनी होती है. जबकि, इसी ऑनलाइन क्लास को लेने के लिए साल भर के दौरान प्राइवेट स्कूल मोटी फीस वसूलते हैं.
गाजियाबाद के सरकारी स्कूलों में दाखिला पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में हर तरह की मनमानी हो रही है. फीस से लेकर अन्य मामलों पर प्राइवेट स्कूल इतनी मनमानी कर रहे हैं, जिससे सैकड़ों पेरेंट्स बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलवाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. ये भी पढ़ें-गाजियाबाद के सब्जी व्यापारियों की हालत अभी भी खराब
एक प्राइवेट स्कूल में बच्ची नौवीं क्लास में पढ़ती है. आरोप है कि स्कूल ने बच्ची को चार महीने से ऑनलाइन क्लास से वंचित रखा हुआ है. यही नहीं, आठवीं क्लास का रिजल्ट तक बच्ची को नहीं दिया गया है. परिवार को इसकी वजह नहीं बताई गई है. आरोप है की पूरी फीस जमा करने के बावजूद भी स्कूल की तरफ से फीस की मांग की जा रही है. बताया जा रहा है कि बच्ची के पिता स्कूल फीस के मसले पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जो बात स्कूल को पसंद नहीं है.
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आंकड़ों के मुताबिक, जिले के 400 से ज्यादा सरकारी प्राइमरी स्कूलों में करीब चार हज़ार से ज़्यादा बच्चों का एडमिशन कोरोना काल में हुआ है. माध्यमिक सरकारी विद्यालयों में भी बच्चों के एडमिशन लेने का आंकड़ा अच्छा खासा है. एक तरफ प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, तो दूसरी तरफ घटती इनकम ने लोगों को सरकारी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करवाने के लिए आकर्षित किया है.
इससे यह साफ है कि आने वाले वक्त में प्राइवेट स्कूलों को पेरेंट्स का करारा जवाब मिल सकता है. इसी तरह से सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं और बेहतर होती गईं और पेरेंट्स ने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भारी संख्या में भेजना शुरू कर दिया, तो प्राइवेट स्कूलों के लिए भी बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. हालांकि, हकीकत यह भी है कि माध्यमिक स्तर पर अभी सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं में और सुधार की जरूरत है.