नई दिल्ली/गाजियाबाद:कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था. लॉकडाउन के बाद अनलॉक के चरणों की शुरुआत हुई. अनलॉक का चौथा चरण शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी कोरोना के चलते रोजगार के अवसर काफी प्रभावित हैं.
कूड़ा बीनने वालों के लिए नगर निगम लाया पहल असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस संकट की घड़ी में गाजियाबाद नगर निगम ने कूड़ा बीनने वालों के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है.
गाजियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने एक नई पहल की शुरुआत की है. इस पहल के तहत महानगर में कूड़ा बीनने वाले श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा. इससे ना सिर्फ महानगर में कूड़ा बीनने वाले लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि उनका जीवन स्तर भी सुधरेगा.
किस तरह से नगर निगम कूड़ा बीनने वाले श्रमिकों को रोजगार देगा और महानगर में लगभग कितने श्रमिकों को रोजगार दिया जाएगा. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर से खास बातचीत की.
सेग्रिगेटर्स का दर्जा देगा नगर निगम
नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि नगर निगम कूड़ा बीनने वाले श्रमिकों को सेग्रिगेटर्स का दर्जा देगा. महानगर के पांच जोन में नगर निगम कूड़ा बीनने वाले सेग्रिगेटर्स का पंजीकरण कराकर अपने साथ जोड़ेगा. महानगर में करीब दस हजार सेग्रिगेटर्स को अपने साथ जोड़ने की नगर निगम की योजना है. हालांकि मौजूदा समय में 923 कूड़ा बीनने वाले सेग्रिगेटर्स के रूप में नगर निगम में पंजीकृत हैं.
3 महीने में जुडेंगे 5000 सेग्रिगेटर्स
उन्होंने बताया कि महानगर में चरणबद्ध तरीके से इस अभियान को चलाया जाएगा. अगले 3 महीने में नगर निगम के करीब 5 हजार से सेग्रिगेटर्स को जोड़ने की योजना है. जबकि 10 हजार सेग्रिगेटर्स को करीब 6 महीने में नगर निगम से जोड़ लिया जाएगा.
नगर आयुक्त ने कहा कि एक तरफ कूड़ा बीनने वालों को इससे रोजगार मिलेगा, तो वहीं दूसरी तरफ नगर निगम को भी सेग्रिगेटर्स से काफी फायदा होगा. नगर निगम इस योजना से किसी प्रकार का कोई फायदा नहीं कमाएगा. जो भी इससे नगर निगम की आमदनी होगी, उसका वितरण सेग्रिगेटर्स को ही कर दिया जाएगा.
बता दें कि कोरोना महामारी के चलते ज्यादातर व्यवसाय, होटल आदि बंद है. जिसके कारण कूड़ा बहुत कम निकल रहा है. यहां तक की कूड़ा बीनने वालों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है.