नई दिल्ली/गाजियाबादः कुशल्या गांव में रहने वाले राशिद बेग बचपन से ही और बच्चों के मुकाबले काफी अलग थे. राशिद में पढ़ाई के साथ कुछ अलग करने की ललक थी. मैथमेटिक्स की बड़ी दिमाग चकरा देने वाली कैलकुलेशंस, जिन्हें कैलकुलेटर से करने में वक्त लगता था, उनको भी राशिद चंद सेकेंड में बिना केलकुलेटर की मदद लिये पूरा कर लिया करते हैं. कैलकुलेशंस में महारत रखने वाले राशिद ने 2013 में अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराया. 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा राशिद बेग को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए "राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2014" रजत पदक प्रदान किया गया. इतना ही नहीं राशिद बेग को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फ़िल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय समेत कई बड़ी हस्तियों द्वारा सम्मानित किया गया.
राशिद बेग जिंदगी में ऊंचाइयों की बुलंदियों को हासिल कर रहे थे. जिंदगी की दौड़ में राशिद के पिता कज़्ज़ाफी उनका ढांढस बढ़ाकर हौसला दे रहे थे. राशिद की कामयाबी की रेलगाड़ी बहुत तेजी के साथ दौड़ रही थी. राशिद की जिंदगी में अचानक ही सब कुछ बदल गया. 2016 में राशिद के पिता कज़्ज़ाफी की मृत्यु हो गई. पिता के गुजर जाने के बाद राशिद को गहरा सदमा लगा. राशिद डिप्रेशन में चले गए. पिता परिवार में अकेले कमाने वाले थे. पिता के जाने के बाद परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने लगा. चंद महीनों बाद राशिद के घर की छत ढह गई. घर के हालात खराब हो चुके थे. मरम्मत कराने के लिए पैसे नहीं थे, तो राशिद बहन और मां को लेकर नानी के घर पर रहने लगे.