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गाजियाबाद: मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान

गाजियाबाद के सीनियर डॉक्टर शिशिर श्रीवास्तव राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर लोगों को जागरूक करते हुए मिर्गी से जुड़ी जानकारियां दे रहे हैं. साथ ही डेमो के जरिए मिर्गी का दौरा पड़ने पर जान बचाने का तरीका भी बता रहा है.

मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान
मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान

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Published : Nov 17, 2021, 6:16 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश भर में लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जा रहा है. डॉक्टर शिशिर श्रीवास्तव मिर्गी से जुड़ी जानकारियां दे रहे हैं.

डॉक्टर शिशिर श्रीवास्तव ने बताया कि मिर्गी एक कॉमन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. यह जेनेटिक भी हो सकता है, या फिर किसी ब्रेन इंजरी से हो सकता है. इसके अलावा ऑर्गेनिक वजह से हो सकता है. यह दो तरह का होता है, इसमें एक में पूरी बॉडी इफेक्ट करती है. दूसरे में बॉडी का एक हिस्सा इफेक्ट करता है. इस डिसीज में मरीज के मुंह से झाग निकलने लग जाता है. मरीज के शरीर में झटके आने लग जाते हैं. यह कभी भी हो सकता है, इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मरीज का आत्मविश्वास हमेशा बना रहे.

मिर्गी दिवस पर लाइव डेमो देखकर जानिए कैसे बचाएं मरीज की जान
डॉक्टर शिशिर ने बताया कि कुछ लोग मिर्गी के मरीज को जूता सुंघाने लगते हैं, यह गलत है. मरीज को कंफर्टेबल फील कराना चाहिए. पैनिक होने की जरूरत नहीं होती है. मरीज को साइड वाली मुद्रा में लेटा कर उसके साइड वाले हिस्से में तकिया लगा सकते हैं. डेमो में भी डॉक्टर ने यह सब कुछ दिखाया. डॉ शिशिर ने बताया कि डेढ़ से 2 मिनट में इस तरह का दौरा खत्म हो जाता है. इस तरह के मरीजों को अपने साथ सक्शन मशीन रखनी चाहिए. डॉक्टर शिशिर श्रीवास्तव ने इस सभी प्रक्रिया का डेमो दिखाया.



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जानकारी के मुताबिक, इस डिसीज में मस्तिष्क की कोशिकाओं में अचानक असामान्य विद्युत संचार होता है, जिससे दौरा पड़ जाता है. इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति मूर्छित हो जाता है. यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है. भारत में लाखों लोग मिर्गी के दौरों से पीड़ित हैं. कई बार लोग झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं, जिसके लिए डॉक्टर पूरी तरह से मना करते हैं. इसका प्रॉपर इलाज करवा कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा लक्षण यही है कि पहले अचानक दौरा पड़ता है, जो तीव्र गति का नहीं होता, लेकिन फिर दौरे की गति बढ़ती चली जाती है जो गंभीर बन सकती है.

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