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गाजियाबाद: एटलस साइकिल फैक्ट्री बंद होने से मजदूरों पर संकट, देखिए ये रिपोर्ट

देश की जानी-मानी एटलस साइकिल फैक्ट्री के बंद होने के बाद मजदूरों को "लेऑफ" पर जाने के लिए कहा गया है. इसका मतलब है उनकी तनख्वाह आधी कर दी जाएगी. जिसकी वजह से उन पर संकट खड़ा हो गया है.

Gaziabad Atlas Cycle Factory shutdown ground report
एटलस साइकिल फैक्ट्री

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Published : Jun 5, 2020, 3:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद के साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में जानी-मानी एटलस साइकिल फैक्ट्री को अचानक बंद करने का आदेश 3 दिन पहले दिया गया था. साइकिल दिवस के दिन मजदूरों को पता चला कि वह बेरोजगारी की कगार पर आ गए है. क्योंकि उन्हें "लेऑफ" पर भेज दिया गया है. फैक्ट्री अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई है. इसका सीधा मतलब है कि रोज हाजिरी लगानी होगी, लेकिन तनख्वाह आधी मिलेगी.

एटलस साइकिल फैक्ट्री के बंद होने के बाद मजदूरों को "लेऑफ" पर जाने के लिए कहा गया

मजदूरों पर क्या बीत रही

देश की जानी-मानी एटलस साइकिल फैक्ट्री के बंद होने के बाद मजदूरों पर क्या बीत रही है उसका जायजा हमने फैक्ट्री के बाहर से लिया. मजदूरों ने बताया कि उन्हें "लेऑफ" पर जाने के लिए कहा गया है. इसका मतलब है उनकी तनख्वाह आधी कर दी जाएगी. एक मजदूर ने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं, और सैलरी 12 हजार रुपये है. आधी सैलरी के रूप में 6 हजार रुपये मिलेंगे. जिससे बच्चों की पढ़ाई और खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. वहीं एक मजदूर ने बताया है कि अब आधी सैलरी के रूप में सिर्फ 4400 रुपये मिलेंगे. जिसमें से 2500 रुपये घर का किराया चला जाएगा.

अचानक बंद की गई फैक्ट्री

इस मामले में राजनीति भी गरमाई और मायावती ने मामले में ट्वीट किया. मजदूरों ने आरोप लगाया कि अचानक से फैक्ट्री बंद कर दी गई है. इसके बाद राजनीति गरमा रही है. मायावती ने ट्वीट करके सरकार से मांग की है कि मामले में दखल देकर कुछ किया जाए, जिससे मजदूर दाने-दाने के लिए मोहताज ना हो.


फैक्ट्री के बाहर आस में खड़े कर्मचारी

फैक्ट्री के बाहर कर्मचारी आस में खड़े हैं कि उन्हें इंसाफ मिल जाए. इस मामले में हमने जब उनसे बात की तो उनका कहना है कि आधी सैलरी से गुजारा नहीं चल पाएगा. 10 या 12 हजार तक की नौकरी करने वाले कर्मचारियों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल है. इन्हीं में से कुछ मजदूर ऐसे हैं जिनके घर में 5 से ज्यादा सदस्य हैं और उनका पूरा गुजारा इसी तनख्वाह से चलता है. उनके सामने आर्थिक संकट गहरा जाएगा. एक मजदूर ने बताया कि पहले ही मई की सैलरी को लेकर भी समस्या उत्पन्न हुई थी. वहीं मामले में श्रम आयुक्त ने दखल दिया है. श्रमायुक्त ने मैनेजमेंट और मजदूरों को वार्ता के लिए बुलाया. जिसमें कहा गया है कि वह श्रमिकों के हित में फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं.

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