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ग़ाज़ियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन - सुंदर दीप इंस्टीट्यूशन

ग़ाज़ियाबाद के हर गांव में घर घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त बांटे जाएंगे. डासना स्थित सुंदर दीप इंस्टीट्यूट में FIEM Foundation के CSR फंड की मदद से सैनिटरी पैड (नैपकिन) बनाने वाली मशीन लगाई गई है.

Free sanitary pads will be distributed from village to village of Ghaziabad
Free sanitary pads will be distributed from village to village of Ghaziabad

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Published : May 14, 2022, 5:35 PM IST

नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद :ग़ाज़ियाबाद के हर गांव में घर-घर जाकर महिलाओं और लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त बांटे जाएंगे. डासना स्थित सुंदर दीप इंस्टीट्यूट में FIEM Foundation के CSR फंड की मदद से सैनिटरी पैड (नैपकिन) बनाने वाली मशीन लगाई गई है.


केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद वीके सिंह ने बताया कि गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को माहवारी के दौरान बाजार के महंगे सैनिटरी पैड खरीदने से बचाने और उनको सुरक्षित रखने के लिए FIEM फाउंडेशन और सेवा भारती की यह सार्थक कोशिश है. इस मशीन के जरिए एक मिनट में 50 से 60 सैनिटरी पैड बनते हैं.

ग़ाज़ियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन



सांसद वीके सिंह ने बताया कि मशीन से बनने वाली सभी नैपकिन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के जरिए मुफ्त दी जाएंगी. जरूरत पड़ने पर यह मशीन दूसरी जगहों पर भी लगाई जाएगी. इस मशीन का संचालन सेवा भारती संस्था करेगी.

ग़ाज़ियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन

सहायता समूह की महिलाएं सैनिटरी पैड न सिर्फ गांव-गांव पहुंचाएंगी बल्कि इसके इस्तेमाल को लेकर महिला एवं लड़कियों को जागरूक भी करेंगी.

ग़ाज़ियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) की रिपोर्ट के मुताबिक 15-24 वर्ष की आयु की करीब 50 प्रतिशत महिलाएं अभी भी मासिक धर्म के दौरान कपड़े का उपयोग करती हैं.

ग़ाज़ियाबाद के गांव-गांव मुफ्त बांटे जाएंगे सैनिटरी पैड, लगाई गई पैड बनाने वाली मशीन

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विशेषज्ञों के मुताबिक अगर किसी अशुद्ध कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. एक बड़ी आबादी अब भी सेहत को लेकर जागरूक नहीं है.

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