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मैसेज के जरिए क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने वाले ठगी गैंग का पर्दाफाश

गाजियाबाद पुलिस की साइबर सेल को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने मैसेज के जरिए क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने वाले ठगी गैंग का पर्दाफाश किया है. सभी आरोपियों के खिलाफ आगे कार्रवाई की जा रही है.

गिरफ्त में ठग गैंग
गिरफ्त में ठग गैंग

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Published : Jan 9, 2022, 2:34 PM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद: अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ठग आपके क्रेडिट कार्ड में सेंध लगाने के लिए नजरें गड़ाए बैठे हुए हैं. गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो कि क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर लोगों के क्रेडिट कार्ड से मोटी रकम उड़ा लिया करते थे.

जानकारी के मुताबिक, साहिबाबाद निवासी नीरज शर्मा द्वारा 18 दिसंबर को साइबर सेल में शिकायत दी गई थी कि उनके मोबाईल पर 10 नवंबर को इंटरनेट कॉल कर क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर एक लिंक मैसेज द्वारा भेजा गया और ऐप डाउनलोड करवा कर उनके क्रेडिट कार्ड से तकरीबन तीस हजार रुपये की ठगी की गई. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

वारदात की जानकारी देते पुलिस अधिकारी
साइबर सेल द्वारा नीरज के क्रेडिट कार्ड की डिटेल निकाली गई तो पता चला कि नीरज के क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग कर पैसे ट्रांसफर किए गए हैं. ट्रांजैक्शन की जानकारी के आधार पर साइबर सेल और थाना साहिबाबाद की संयुक्त टीम द्वारा साहिबाबाद क्षेत्र से चार आरोपियों, दिव्यांशु ठाकुर, सनी कश्यप, अंकित यादव और निशांत माथुर को गिरफ्तार किया गया.

पुलिस द्वारा आरोपियों के पास से घटना में इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन, ठगी पैसे से खरीदा गया होममेड, 26 मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, 102 सिम कार्ड समेत ठगी करने में इस्तेमाल होने वाली कई चीज़ें बरामद की गई हैं. हालांकि ,अभी इस गैंग का सरगना आनंद फरार है, जिसकी तलाश में कई टीमें लगी हुई हैं.

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चारों आरोपी अपने फरार साथी आनंद और वसीम के साथ मिलकर इंटरनेट कॉल कर टेक्स्ट मैसेज भेजते थे. इसके बाद एक एप डाउनलोड करा कर लोगों से क्रेडिट कार्ड का पैसा मर्चेंट वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते और उस पैसे को शॉपिंग में इस्तेमाल करते थे या फिर बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिया करते थे.

पुलिस की माने तो आरोपी दिव्यांश ठाकुर बतौर मैनेजर क्रेडिट कार्ड कंपनी में काम कर चुका है. वहीं, क्रेडिट कार्ड धारकों का डाटा चुरा कर ठगी करने वाले गेम को को बेचता था और कुछ दिन पहले ही अपनी नौकरी छोड़कर अपना ठगी का ऑफिस शुरू किया था. अन्य आरोपी सनी कश्यप दिव्यांश के ठगी के ऑफिस में टीम लीडर के रूप में काम करता था. इसके साथ-साथ ऑफिस की देखरेख, फ़र्ज़ी वॉलेट अकाउंट तैयार करना और ब्रोकर के माध्यम से फर्जी बैंक खातों की व्यवस्था करता था.

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